Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi: सनातन धर्म में मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है। इस दिन भक्त श्रद्धा और आस्था के साथ बजरंगबली की पूजा करते हैं और कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि संकट मोचन हनुमान की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। साथ ही सभी प्रकार के संकट, बाधाएं और भय दूर होते हैं। वहीं, हनुमान चालीसा का पाठ करना भी बेहद लाभकारी माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, भय, संकट और मानसिक तनाव को दूर करने में इसका पाठ अत्यंत प्रभावी होता है। इसके पाठ से बुरे सपने नहीं आते और नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं। बता दें कि इस चमत्कारी स्तोत्र की रचना तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में की थी, जिसमें 40 चौपाइयां हैं। ऐसे में यहां पढ़ें हर चौपाई का अर्थ सहित हनुमान चालीसा का पाठ…
पूरी हनुमान चालीसा अर्थ सहित
दोहा
श्रीगुरू चरन सरोज ऱज, निज मनु मुकुरु सुधारि |
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||
अर्थ – हनुमान चालीसा की शुरुआत चौपाइयों में गोस्वामी तुलसीदास जी ने सबसे पहले अपने गुरुदेव को नमन किया है। वे कहते हैं कि उन्होंने अपने गुरु के वचनों रूपी चरणों की धूल से अपने मन की मैल को साफ कर लिया है। तुलसीदास जी बताते हैं कि भगवान राम धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों फलों को देने वाले हैं ।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन- कुमार ।
बल बुधि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥
अर्थ – किसी भी मंत्र या जाप का सच्चा प्रभाव तब ही होता है जब वह भाव से किया जाए, न कि बुद्धि के साथ। क्योंकि साधना के दौरान भाव की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की शुरुआत में ही अपने बुद्धि-विचार को त्याग कर, सच्चे भाव से पवनपुत्र हनुमान जी का स्मरण किया है। उन्होंने प्रार्थना की कि – ‘हे प्रभु! मुझे बल, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद दें तथा मेरे पाचों क्लेश (अविद्या, अहंकार (अस्मिता), राग, द्वेष और मृत्यु का भय (अभिनिवेश) इन सभी को दूर करें। मैं आपके चरणों में सम्पूर्ण समर्पण करता हूं।’
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ॥ 1
अर्थ – इस चौपाई का अर्थ है कि, ‘हे पवनपुत्र हनुमान! आप समस्त ज्ञान, शक्ति और सद्गुणों से परिपूर्ण हैं। समस्त विद्याओं के आप ज्ञाता हैं और ऐसा कुछ भी नहीं जिसका ज्ञान आपको न हो। हे हनुमान! आपकी जय हो! आप ही वे परम पराक्रमी हैं, जिनकी महिमा तीनों लोकों में गूंजती है। हे महाबली! आपकी कृपा जिस पर भी पड़ती है, उसका जीवन खुशहाल हो जाता है। आपकी जय हो।
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥ 2
अर्थ – इस चौपाई का अर्थ है कि, हे हनुमान जी! श्रीराम के दूत बनने के लिए जो भी गुण चाहिए, वो सब आपके अंदर है। यही कारण है कि आप प्रभु श्रीराम के दूत हैं। आपकी दिव्य शक्तियां आपको हर युग में विशेष बनाती हैं। आपके बल और पराक्रम की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। आप अंजनी माता के तेजस्वी पुत्र हो और पवनपुत्र नाम से विख्यात हो।
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥3
अर्थ – इस चौपाई का अर्थ है कि, आप पराक्रम की प्रतिमूर्ति और वीरों के भी वीर हैं। इसलिए आपको महावीर के नाम से पूजा जाता है। आपके शरीर के अंग-अंग में शक्ति समायी हुई है, जो वज्र के समान सुदृढ़ और मज़बूत हैं। इसलिए आपको बजरंगी भी कहा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से आपकी भक्ति करता है, आप उसे न केवल संकटों से बचाते हैं, बल्कि उसके अंदर मानसिक बल भर देते हैं।
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