Shivling Pe Bel Patra Kaise Chadaye: हिंदू धर्म में भगवान भोलेनाथ सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं। शास्त्रों के अनुसार, भोलेनाथ को बेलपत्र सबसे अधिक प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को जल के साथ मात्र बेलपत्र चढ़ाने से वह अति प्रसन्न हो जाते हैं। बेल पत्र का इतना महत्व है कि इसे अर्पित करने से हर काम में सफलता मिलती है और धन की कमी नहीं होती है। लेकिन कई बार लोग अनजाने में बेलपत्र शिवलिंग पर गलत तरीके से अर्पित कर देते हैं, जिसकी वजह से उन्हें पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है। ऐसे में आइए जानते हैं शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका क्या है।
बेल पत्र के फायदे
बेल के पेड़ में सभी सिद्धियों का वास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर बेल के पेड़ के नीचे बैठकर किसी स्त्रोत का पाठ किया जाए उसका फल अनंत गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ही इसे भगवान शिव को अर्पित करने से हमारे सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं और भगवान शिव हम पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
बेल पत्र कब नहीं तोड़ना चाहिए?
शिवपुराण के अनुसार, कुछ खास दिनों में बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। जैसे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार के दिन बेल पत्र तोड़ना मना है। अगर आपने बेल पत्र पहले इस्तेमाल किया हो तो उसे धोकर फिर से चढ़ा सकते हैं।
बेल पत्र की सही पहचान
बेल पत्र हमेशा तीन पत्तों वाला होना चाहिए। तीन से कम पत्तों वाला बेल पत्र पूजा में उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, बेल पत्र का डंठल पहले से तोड़ लें, क्योंकि जितनी कम डंठल होगी, उतना अच्छा माना जाता है। बेल पत्र को हमेशा विषम संख्या में ही अर्पित करें जैसे 3, 7, 11, या 21।
बेल पत्र अर्पित करने का सही तरीका
जब बेल पत्र भगवान शिव को अर्पित करें, तो इस बात का ध्यान रखें कि उसका चिकना भाग नीचे की ओर हो। इसके बाद ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं – ‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥’
न चढ़ाएं ऐसी बेलपत्र
इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी शिवलिंग पर ऐसी बेलपत्र न चढ़ाएं, जो गंदी हो या फिर दाग-धब्बे या कटी-फटी हो। ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं।
शिवलिंग में बेलपत्र चढ़ाने वक्त इस बात का रखें ध्यान
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लें। इसके बाद चंदन या फिर केसर में गंगाजल मिलाकर पेस्ट बनाएं और पत्तियों पर ‘ऊं’ लिखें। आप बिना लिखे भी इसे चढ़ा सकते हैं।
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