Shiv Purana Narak Lok: शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है उसे उसी प्रकार का फल मिलता है। मनुष्य की मृत्यु के बाद इस बात का फैसला किया जाता है कि उसे देव लोक, स्वर्ग लोक मिलेगा फिर भी नरक का कष्ट भोगना पड़ेगा। सभी शास्त्रों में इस बात का जिक्र किया गया है कि कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे आप पाप के भागी बनें और अपने लिए नरक का द्वार खोल दें। शिव पुराण में ऐसे ही कुछ कामों का वर्णन किया गया है जिन्हें करने से व्यक्ति को नरक का प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं शिव पुराण के अनुसार किन कामों को करने से खुल जाते हैं नरक के द्वार।
शिव पुराण के श्री उमा संहिता में अध्याय पांच में इस बारे में विस्तार से सनत्कुमार ने व्यास जी को विस्तार से बताया है कि आखिर कौन से कर्म उन्हें नरक की ओर ले जाते हैं।
शिव पुराण- नरक में गिराने वाले पापों का वर्णन
व्यास जी ने सनत्कुमार जी से कहा कि – हे मुनीश्वर ! इस संसार में पाप कर्म करने वाले पापी व्यक्ति हमेशा नरक के भागी होते हैं। ऐसे नरक जाने वाले प्राणियों के विषय में मुझे बताइए ।
व्यास जी के वचन सुनकर सनत्कुमार जी बोले- हे व्यास जी ! इस संसार में अनेक प्रकार के पाप कर्म होते हैं, जो व्यक्ति को नरक द्वार की ओर ले जाते हैं। परस्त्री की इच्छा करना, दूसरों के धन को पाने की इच्छा, दूसरों का बुरा सोचना, अधर्म करना ये सभी काम मन के पाप होते हैं। इसके अलावा झूठ बोलना, कठोर बोलना, दूसरों की चुगली करना आदि को वाणी के पाप कर्म माना जाता है।
अभक्ष भक्षण करना, हिंसा करना, असत्य कार्य करना एवं किसी का धन वस्तु हड़प लेना, ये सभी कर्म शारीरिक रूप से किए गए पाप कहे जाते हैं। इन सभी का फल बहुत की कष्टकारी होता है।
अपने गुरु अथवा माता- पिता की निंदा करने वाले को सबसे बड़ा पापी माना जाता है। इसके अलावा ब्राह्मणों को कष्ट देना, शिव ग्रंथों को नष्ट करने वालों को भी महापापी की श्रेणी में रखा गया है।
जो व्यक्ति भगवान शिव की स्तुति और पूजन नहीं करते और न ही शिवलिंग को नमस्कार करते हैं। वे भी अपने लिए नरक का द्वार खोल रहे हैं।
बिना गुरु की पूजा के शास्त्रों को सुनने की कोशिश करने वाले, गुरु सेवा से जी चुराने वाले, गुरु त्यागी एवं गुरु का अपमान करने वाले भी नरक जाते हैं।
ब्रह्म हत्या करने, मद्यपान करने, गुरु के स्थान पर बैठने तथा गुरुमाता को कुदृष्टि से देखने वाले नरक में जाने योग्य ही होते हैं।
वेदों की जानकारी रखने वाले एवं पूजन-आराधन को त्याग देने वाले, दूसरों की अमानत को हड़पने वाले तथा चोरी करने वाले, सभी मनुष्यों को अवश्य ही नरक में रहना पड़ता है।
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