Shiv Puja: हिंदू धर्म में भगवान शिव को सर्वशक्तिमान माना जाता है। सृष्टि के पालनहार करने वाले भगवान विष्णु भी उनकी पूजा करते हैं। माना जाता है कि देवी-देवता भी घोर संकट आने पर शिव जी के ही शरण पर जाते हैं। शिवजी को अविनाशी, सर्वज्ञ,मंगलमय माना गया है जिनकी पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और संपन्नता की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को प्रसन्न करना काफी आसान और कभी काफी कठिन माना जाता है। शिवजी चाहे, तो मात्र एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो सकते हैं। इसी के कारण उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। शिवलिंग में जल चढ़ाने के कई नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है। अगर आप भी किसी न किसी रोग से परेशान रहते हैं, तो शिवलिंग में जल चढ़ाते समय इन दो जगहों को साफ करने के बाद चंदन लगा दें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को बड़ी से बड़ी बीमारी में राहत मिल सकती है। इसके साथ ही शिवजी की कृपा से सुख-संपदा, धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है।
शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग में शिवजी और मां पार्वती का वास नहीं होता है। बल्कि शिवलिंग में शिवजी के पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय जी के साथ उनकी पुत्री अशोक सुंदरी विराजित है। इसलिए शिवलिंग में जल चढ़ाते समय कुछ स्थानी को अवश्य ध्यान रखना चाहिए। अगर आप बहुत ही बीमार रहते हैं, तो शिवलिंग के इन दो स्थानों को साफ करने के साथ चंदन का टीका लगाकर आना है।

रोगों से मुक्ति के लिए शिवलिंग की इन दो जगहों पर लगाएं चंदन
पहला स्थान
शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग में अशोक सुंदरी का स्थान यानी जो जलाधारी के इस बीच के स्थान को माना जाता है। जहां पर बीच में मोटी लाइन रहती हैं और उसके आसपास जगह होती है। इसे आप शुद्ध जल से साफ करके इस जल को अपने छाती सहित रोग वाले स्थान में लगाएं। इसके बाद अपने हाथों को धो लें और दोनों ओर सफेद चंदन लेकर इस जगह पर लगा दें।
दूसरा स्थान
शिवलिंग का दूसरा स्थान जहां से जल बहकर जाता है। उस स्थान को जल और हाथों से साफ कर लें। इसके बाद इस जगह के जल को हृदय या फिर जहां पर रोग, दर्द, कष्ट आदि हो वहां पर लगा लें। इसके बाद इस जगह पर भी चंदन का टीका लगा दें।
शिवपुराण के अनुसार माना जाता है कि अगर आप ये दो स्थान साफ करने के साथ-साथ टीका लगाना सीख गए, तो बड़ी से बड़ी बीमारी और रोगों से कोसों दूर रह सकते हैं।
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