Shiv Pradosh Vrat September 2020 : प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष माना जाता है। इस महीने प्रदोष व्रत 15 सितंबर, मंगलवार को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। मानते हैं कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। बताया जाता है कि जब सभी देवी-देवताओं ने त्रयोदशी तिथि को मंगलकारी ना मानते हुए इस दिन अपनी पूजा के लिए मना कर दिया था। तब भगवान शिव ने त्रयोदशी तिथि को अपनी उपासना के लिए सबसे अच्छी तिथि बताया था।
कहा जाता है कि त्रयोदशी व्रत यानी प्रदोष व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है। शिव प्रदोष व्रत को बहुत चमत्कारी माना जाता है। कहते हैं कि जो कोई भी व्यक्ति भगवान शिव को सच्चे मन से याद कर शिव प्रदोष व्रत को पूर्ण करता है, भगवान शिव की कृपा से उसके सभी मनोरथ पूरे होते हैं। यह व्रत बहुत प्रभावशाली है। पुराणों में भी शिव प्रदोष व्रत की महिमा गाई गई हैं।
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi/ Pradosh Vrat Pujan Vidhi)
इस दिन सूर्योदय से पहले उठें। स्नानादि कर साफ कपड़े पहनें।
पूजन स्थल को साफ करें। फिर गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें।
एक चौकी लेकर उस पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। चौकी के चारों ओर कलावा बांधें।
अब उस चौकी पर भगवान शिव की प्रतिमा विराजित करें।
शिव जी के चरणों पर गंगाजल अर्पित करें। फिर उन्हें सफेद फूलों की माला पहनाएं।
भगवान शिव को गोपी चन्दन का तिलक लगाएं।
अगर आप शिव प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग की उपासना करते हैं तो सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर उन पर धतूरा और भांग चढ़ाएं।
दीपक जलाएं। साथ ही संभव हो तो धतूरा और भांग चढ़ाएं। अगर धतूरा-भांग ना मिल पाए तो कोई भी मौसमी फल चढ़ा सकते हैं।
फिर भगवान शिव स्तुति, शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र और शिव मंत्रों से भगवान शिव को प्रसन्न करें।
शिव जी का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें।
इसके बाद शिव आरती करें।
संभव हो तो खीर का भोग लगाएं। भगवान शिव को खीर बहुत पसंद है।
पूजा के बाद भगवान शिव से पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।