Sheetala Ashtami 2025 Shubh Muhurat, Puja Vidhi: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। इसे बसौड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है। ये खेलने वाली होली के ठीक आठ दिन बाद मनाया जाता है। ये त्योहार उत्तर भारत के राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों में बहुत प्रसिद्ध है। शीतला अष्टमी का पर्व सप्तमी तिथि के साथ आरंभ हो जाता है। आज शाम को साफ-सफाई के साथ मां का भोग तैयार किया जाता है और अष्टमी तिथि को इसी बासी भोग को अर्पित किया जाता है। जानें शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र सहित अन्य जानकारी…
शीतला अष्टमी आरती
शीतला अष्टमी तिथि 2025 (Sheetala Ashtami 2025 Date)
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ- 22 मार्च की सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर शुरू
अष्टमी तिथि समाप्त- 23 मार्च की सुबह 5 बजकर 23 मिनट
शीतला अष्टमी –22 मार्च 2025, शनिवार
शीतला सप्तमी- 21 मार्च 2025, शुक्रवार
शीतला अष्टमी 2025 पूजा मुहूर्त (Sheetala Ashtami 2025 Puja Muhurat)
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त 22 मार्च को सुबह 06:16 से लेकर शाम 6:26 मिनट है। पूजा मुहूर्त की अवधि करीब 12 घंटे 10 मिनट तक है।
शीतला अष्टमी पूजन शुभ चौघड़िया मुहूर्त
शुभ – उत्तम: 07:54 ए एम से 09:25 ए एम
लाभ – उन्नति: 01:59 पी एम से 03:31 पी एम
अमृत – सर्वोत्तम: 03:31 पी एम से 05:02 पी एम
शीतला अष्टमी पूजा विधि 2025 (Sheetala Ashtami 2025 Puja Vidhi)
शीतला अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद पूजा की थाली तैयार करें। इसके साथ ही थाली में दही, पुआ, सप्तमी के दिन बनी खीर, बाजरा, मठरी आदि रखें। इसके अलावा एक आटे का दीपक, फूल-माला, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, रोली, मेहंदी, सिक्का आदि रख लें। इसके साथ ही एक लोटे में जल ले लें। सबसे पहले मां का जल से आचमन करने के बाद फूल, माला, रोली, अक्षत, सिंदूर, हल्दी आदि चढ़ा दें। इसके साथ ही वस्त्र और मेहंदी भी चढाएं। फिर मां को भोग लगाएं और घी का दीपक चला लें। फिर मां शीतला के मंत्र, शीतलाष्टक आदि का पाठ करने के बाद अंत में मां शीतला की आरती कर लें। इसके साथ ही अंत में वापस मां को थोड़ा जल चढ़ाएं और बचे हुए जल को घर के सभी सदस्यों के आंखों को लगाएं और पूरे घर में छिड़क दें। अंत में मां को चढ़ाया हुआ भोग स्वयं खाएं।
मां शीतला को लगाएं बासी भोजन का भोग
शीतला अष्टमी के दिन चूल्हा चलाना और ताजा भोजन बनाने की मनाही होती है। इसलिए एक दिन पहले यानी आज सप्तमी तिथि को साफ-सुथरा भोग तैयार किया जाता है और अष्टमी के दिन मां को बासी भोग अर्पित किया जाता है। सप्तमी तिथि को शाम के समय भोग के लिए गुड़-चावल या फिर चावल और गन्ने का रस मिलाकर खीर बनाते हैं और इसके साथ ही मीठी रोटी बनाई जाती है। मां को भोग लगाने के बाद घर के हर एक सदस्य इस भोग का सेवन करते हैं।
शीतला अष्टमी पर करें इन मंत्रों का जाप (Sheetala Ashtami 2025 Mantra)
शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला को प्रसन्न करने के लिए शीतलाष्टक का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
हृं श्रीं शीतलायै नमः
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