Shasha Yoga in Astrology: वैदिक ज्योतिष में  शनि देव को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि का गोचर एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहता है। वहीं आपको बता दें कि शनि देव व्यक्ति की कुंडली में शश राजयोग का निर्माण करते हैं।   आपको बता दें कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शश राजयोग होता है। उस व्यक्ति को जीवन में सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति अति धनवान होता है। साथ ही समाज में वह अपनी अलग पहचान बनाता है। वहीं शनि देव की विशेष कृपा होती है। आपको बता दें कि शश राजयोग का निर्माण शनि देव के द्वारा होता है। आइए जानते हैं कुंडली में कैसे बनता है ये राजयोग और इसके क्या लाभ हैं…

ऐसे बनता है शश राजयोग

ज्योतिष शास्त्र में पंच महापुरुष राजयोग का वर्णन मिलता है। जिसमें शश महापुरुष भी आता है। वहीं इस राजयोग का निर्माण तब होता है जब शनि लग्न भाव से या चंद्र भाव से केंद्र भाव पर हो यानि शनि देव यदि किसी कुंडली में लग्न अथाव चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान  में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में शश योग बनता है। 

बनते हैं अकूत धन- संपत्ति के मालिक

शनि देव तुला राशि में स्थित हो तो इस योग का बेहद शुभ फल प्राप्त मिलता है। क्योंकि शनि देव की तुला राशि में उच्च के विराजमान होते हैं। इसलिए ऐसे लोग अकूत धन- संपत्ति के मालिक होते हैं। वहीं ये लोग भाग्य से ज्यादा कर्म पर विश्वास रखते हैं। वहीं इन लोगों को आजादी पसंद होती है। ये लोग किसी के दबाव में काम नहीं कर सकते हैं। साथ ही ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी रहती है। साथ ही ये लोग धनवान होते हैं। ये लोग अपना काम समय पर पूरा करना पसंद होता है। वहीं ये लोग गरीबों की सहायता के लिए हमेशा आगे रहते हैं।

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