Shardiya Navratri  2024 Kalash Sthapana (Ghat Sthapana) Date, Time Shubh Muhurat in Hindi: ज्योतिष पंंचांग के मुताबिक इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 03 अक्टूबर से हो रहा है। आपको बता दें कि नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। मान्यता है जो व्यक्ति व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा- अर्चना करता है, तो उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। साथ ही मां दुर्गा की पूजा करने से नवग्रह भी शांत रहते हैं। इस बार मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे थोड़ा कम शुभफलदायी रहेगा। आइए जानते हैं घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि

शारदीय नवरात्रि तिथि 2024

 वैदिक पंचांग के मुताबिक आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर, मंगलवार की अर्धरात्रि 12 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 4 अक्टूबर को रात 2 बजकर 57 मिनट पर होगा।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

पंचांग में इस साल शारदीय नवरात्रि पर घट स्थापना के कई शुभ मुहूर्त दिए गए हैं।

 घट स्थापना का सबसे पहला शुभ मुहूर्त:  3 अक्टूबर, गुरुवार को सुबह 06:14 से 07:23 मिनिट तक है।

घट स्थापना के लिए दूसका शुभ अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 मिनिट तक रहेगा।

चौघड़िया मुहूर्त में भी कर सकते हैं कलश स्थापना

इन मुहूर्तों के अलाव चौघड़िया मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं। ये है चौघड़ियां मुहूर्त की डिटेल…

– सुबह 10:42 से दोपहर 12:11 तक

– दोपहर 12:11 से 01:39 तक

– शाम 04:35 से 06:05 तक

– शाम 06:05 से 07:37 तक

कलश स्थापित करते समय इस मंत्र का करें जाप

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।

मां दुर्गा के इन मंत्रों का करें जाप 

1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

2. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

3. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

4. नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप अधिक से अधिक अवश्‍य करें।

5. पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।
प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।
पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत । प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।

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