Shardiya Navratri 2025 Day 7 Maa Katyayini Vrat Katha in Hindi: आज शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। आज मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। दरअसल दो दिन तृतीया तिथि होने के कारण मां चंद्रघंटा की पूजा दो दिन की गई। इसलिए आज मां दुर्गा के छठे अवतार की पूजा की जाएगी। शास्त्रों में वर्णित है कि मां कात्यायनी की आराधना करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दैदीप्यमान है। इनके चार भुजाएं हैं। बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में तलवार धारण किए हुए हैं, जबकि नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प शोभायमान है। दाईं ओर की ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को निर्भयता का आशीर्वाद देती है। नीचे वाली दाहिनी भुजा वर मुद्रा में है, जो भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने के साथ इस व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की संपूर्ण व्रत कथा…
मां कात्यायनी व्रत कथा (Maa Katyayani Vrat Katha)
कात्य गोत्र में जन्मे विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने मां भगवती पराम्बा की कठिन तपस्या की। उनका हृदय इस संकल्प से भरा हुआ था कि देवी उन्हें पुत्री स्वरूप में प्राप्त हों। उनकी गहन साधना और अटूट भक्ति से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उनके घर में पुत्री के रूप में अवतार लिया। इसी कारण यह देवी कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
मां कात्यायनी का गुण शोध और अनुसंधान कार्य है। इसी वजह से आधुनिक वैज्ञानिक युग में भी इनका महत्व अत्यंत बढ़ जाता है। इन्हीं की कृपा से जटिल से जटिल कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं। मान्यता है कि ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं और तभी से संसार इन्हें अमोघ फलदायिनी के रूप में जानता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रज की गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की मनोकामना से मां कात्यायनी की विशेष पूजा की थी। यह पूजन कालिंदी यमुना के तट पर किया गया था। तभी से मां कात्यायनी को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।
इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान दैदीप्यमान और प्रकाशमान हैं। मां की चार भुजाएं हैं—दाहिनी ओर का ऊपर का हाथ अभय मुद्रा में है जो निर्भयता और सुरक्षा का प्रतीक है, नीचे का दाहिना हाथ वर मुद्रा में है जो कृपा और आशीर्वाद प्रदान करता है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार धारण किए हुए हैं, जबकि नीचे वाले हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है। मां का वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
मां कात्यायनी की उपासना करने से भक्तों को जीवन के चारों पुरुषार्थ—अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष—की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से रोग, शोक, संताप और भय दूर हो जाते हैं। जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और साधक को परम पद की प्राप्ति होती है। इसलिए कहा जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा न केवल सांसारिक इच्छाओं को पूर्ण करती है, बल्कि आत्मिक उत्थान और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 28 सितंबर को तुला राशि में रहकर मंगल दिग्बली होने वाले हैं। ऐसे में कुंभ राशि में मौजूद राहु और मिथुन राशि में मौजूद गुरु एक-दूसरे से त्रिकोण में होंगे, जिससे काम त्रिकोण नामक योग का निर्माण होगा। ऐसे में 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव देखने को मिलेगा, लेकिन इन तीन राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है। जानें इन लकी राशियों के बारे में
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