Shardiya Navratri 2nd Day, Maa Brahmacharini Vrat Katha In Hindi: नवरात्रि का हर दिन किसी न किसी देवी माता के अलग स्वरूप की पूजा को समर्पित होता है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में धैर्य, साहस और तप की शक्ति आती है। उनके आशीर्वाद से आलस्य, क्रोध, स्वार्थ और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाएं दूर हो जाती हैं और भक्त को लंबी आयु, सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है। वहीं अगर आप नवरात्रि के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना कर रहे हैं तो आपको ये व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। आइए जानते हैं इस व्रत कथा के बारे में…

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

‘ब्रह्म’ का अर्थ है तपस्या और ‘चारिणी’ का मतलब है उसका आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ – तपस्या का पालन करने वाली देवी। मां का स्वरूप श्वेत (सफेद) वर्ण का है, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है। उनके हाथों में जप की माला और कमंडल होता है।

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मां ब्रह्माचारिणी की कथा

मान्यता के अनुसार, पूर्वजन्म में मां ने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी के उपदेश से उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने का निश्चय किया और इसके लिए घोर तपस्या शुरू की। एक हजार वर्षों तक उन्होंने केवल फल-फूल खाकर जीवन बिताया। सौ वर्षों तक वे जमीन पर रहकर केवल शाक (सब्जियां) खाती रहीं। कई वर्षों तक उन्होंने खुले आकाश के नीचे रहकर धूप-बरसात की कठिनाइयां सही।
तीन हजार वर्षों तक केवल टूटे हुए बिल्व पत्र खाए। बाद में उन्होंने बिल्व पत्र भी छोड़ दिए और निर्जल-निराहार रहकर तप किया। इतनी कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर बहुत क्षीण हो गया। इसी वजह से उन्हें अपर्णा नाम से भी जाना गया, क्योंकि उन्होंने पत्ते (पर्ण) खाना भी छोड़ दिया था। देवता, ऋषि और मुनि सभी ने मां ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आज तक इतनी कठोर साधना किसी ने नहीं की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।

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