Shardiya Navratri 2025 Kalash Sthapana Rules: हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिन अत्यंत पावन माने जाते हैं। बस कुछ ही समय बाद शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होने जा रहा है। इन दिनों में मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना होती है। आपको बता दें कि नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार कलश स्थापना के लिए दो सबसे शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। पहला मुहूर्त सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट तक और दूसरा अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। वहीं, शास्त्रों की मानें तो कलश स्थापना करते समय आपको कुछ गलतियों को बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा नाराज हो सकती हैं। तो चलिए जानते हैं कौन सी हैं ये गलतियां…
स्वच्छता का रखें ध्यान
कलश स्थापना से पहले इस बात का खास ध्यान रखें कि जिस कलश में जल रखा जाएगा, वह पूरी तरह से स्वच्छ हो। साथ ही, जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है, उस जगह की अच्छे से सफाई कर लें। शुद्ध और पवित्र वातावरण में ही कलश स्थापना करना शुभ फलदायी माना जाता है।
खंडित कलश का उपयोग न करें
नवरात्रि या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में कभी भी टूटा-फूटा या खंडित कलश का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसे कलश को अशुभ माना जाता है। इसलिए यदि आप कलश स्थापना करने जा रहे हैं, तो पहले से ही कलश को ध्यानपूर्वक जांच लें और केवल संपूर्ण व अक्षत कलश का ही प्रयोग करें।
कलश को बीच में न हिलाएं
कलश स्थापना के बाद उसे पूरे नवरात्रि के दौरान उसी स्थान पर स्थिर रखना चाहिए। कलश को बीच में हिलाना या हटाना अशुभ माना जाता है। नवरात्रि की समाप्ति के बाद ही कलश का विसर्जन करें। साथ ही, कलश को हमेशा स्वच्छ और पवित्र हाथों से ही स्पर्श करना चाहिए।
कलश वाले स्थान को खाली न रखें
जहां आपने कलश की स्थापना की है, उस स्थान को नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक खाली नहीं छोड़ना चाहिए। वहां नियमित रूप से दीपक जलाना, पूजा करना और स्थान को पवित्र बनाए रखना आवश्यक है।
घर शुद्ध करें
कलश स्थापना से पहले घर को पूरी तरह शुद्ध करें। यदि घर में प्याज-लहसुन, मांसाहार या शराब जैसी तामसिक वस्तुएं रखी हों, तो उन्हें तुरंत हटा दें। नवरात्रि के दिनों में घर का वातावरण सात्त्विक और पवित्र बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
कलश स्थापना की पूजा विधि
नवरात्रि में कलश स्थापना करते समय सबसे पहले घर के मंदिर या पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करें और गंगाजल से पवित्र करें। इसके बाद मिट्टी से बने पात्र में स्वच्छ मिट्टी भरकर उसमें जौ बोएं। फिर उस पर जल से भरा कलश रखें, जिसमें सुपारी, सिक्का, हल्दी, अक्षत और पंचरत्न डालें। कलश के मुख पर आम के पांच पत्ते सजाएं और ऊपर नारियल को लाल वस्त्र में लपेटकर स्थापित करें।
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