Durga Ji Ki Aarti: शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 22 सितंबर से हो गया था, तो पूरे 10 दिन होते हुए 2 अक्टूबर को दशमी तिथि के साथ समाप्त होंगे। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूप पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। हर एक तिथि किसी न किसी देवी से संबंधित है। इसलिए रोजाना मां दुर्गा की पूजा और आरती करने के साथ मां के अन्य स्वरूपों की विधिवत आरती करें। आइए जानते हैं मां दुर्गा के साथ-साथ मां मां अम्बे की आरती। जानिए जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी के लिरिक्स इन हिंदी….
दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी…
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली: माँ दुर्गा, माँ काली आरती (Ambe Tu Gagdambe Kali Lyrics)
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली।
तेरे ही गुण गाएँ भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
तेरे भक्त जनो पर माता, भीर पडी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो माँ, करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को पल में संहारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना, माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली।
दुखियों के दुखड़े निवारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में, इक छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ, संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली।
भक्तों के कारज तू ही सारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥