Shardiya Navratri 2025 Day 1 Maa Shailputri Puja Vidhi, Mantra, Vrat Katha, Kalash Sthapna Muhurat In Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाती है। आज से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो चुकी है, जो 2 अक्टूबर को दशमी तिथि के साथ समाप्त होगी। इस दौरान मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने का विधान है। दस दिनों चलने वाले नवरात्रि में कलश स्थापना करने का भी विधान है। इस साल शारदीय नवरात्रि पर काफी शुभ योग बन रहा है। आज के दिन कलश स्थापना करने के साथ अखंड ज्योति जलाई जाएगी। इसके साथ-साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। शुभ योगों की बात करें, तो महालक्ष्मी, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शुक्ल योग बन रहा है। आइए जानते है शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, आरती सहित अन्य जानकारी…
कब से आरंभ हो रही शारदीय नवरात्रि? (Shardiya Navratri 2025 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को देर रात 01 बजकर 23 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 23 सितंबर को देर रात 02 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के हिसाब से शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से आरंभ हो रही है, जो 2 अक्टूबर को दशहरा के साथ दुर्गा विसर्जन के साथ समाप्त होगी।
शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2025 (Shardiya Navratri 2025 Ghatasthapana Muhurat)
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 09 मिनट से आरंभ हो रहा है, जो 8 बजकर 06 मिनट पर समाप्त हो रहा है।
शुभ-उत्तम मुहूर्त- सुबह 09:11 से सुबह 10:43 तक है।
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक कर सकते हैं।
कन्या लग्न आरंभ और समाप्त- 22 सितंबर को सुबह 06 बजकर 09 मिनट से सुबह 8 बजकर 6 मिनट तक
शारदीय नवरात्रि 2025 कलश स्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri 2025 Kalash sthapana Muhurat)
नवरात्रि में शुभ मुहूर्त पर घटस्थापना करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके लिए सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके पश्चात प्रथम पूज्य भगवान गणेश का ध्यान करके कलश स्थापना प्रारंभ करें।
- शुद्ध मिट्टी में जौ मिलाकर चौकी के पास रखें।
- मिट्टी के कलश में जल और गंगाजल भरें।
- उसमें लौंग, हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा और एक रुपए का सिक्का डालें।
- कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते रखें और मिट्टी या स्टील के ढक्कन से बंद करें।
- ढक्कन पर गेहूं या चावल भरें।
- यदि नारियल स्थापित कर रहे हों, तो उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर लाल कपड़ा लपेटें और कलावा से बांध दें।
- इसके बाद कलश और मां दुर्गा की विधिवत पूजा कर व्रत का संकल्प लें।
- मां शैलपुत्री की आराधना करते समय सफेद फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत अर्पित करें।
- मां को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
- घी का दीपक और धूप प्रज्वलित करने के बाद मां शैलपुत्री मंत्र, दुर्गा स्तोत्र, कवच आदि का पाठ करें।
- अंत में आरती उतारकर अनजाने में हुई भूलों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
कलश स्थापना का मंत्र (Navratri Kalash Sthapana Mantra)
ऊं आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।। इस मंत्र का जप करते हुआ कलश की स्थापना करें।
मां दुर्गा के मंत्र( Mantras of maa Durga)
1- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
2- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
3- या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
4-या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
5- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
मां शैलपुत्री के प्रभावशाली मंत्र (Maa Shailputri Mantra)
1- ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
2- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3- या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
माता शैलपुत्री देवी कवच (Maa Shailputri Kavach)
ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।
मां दुर्गा की आरती ॐ जय अम्बे गौरी… (Maa Durga Aarti Jai Ambe Gauri Lyrics)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
सितंबर माह के चौथे सप्ताह शारदीय नवरात्रि के साथ आरंभ हो रहा है। इसके साथ ही इस सप्ताह महालक्ष्मी, सूर्य ग्रहण से लेकर समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, महालक्ष्मी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल
डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें