Navratri 2024 Day 2, Maa Brahmacharini Vrat Katha, Puja Mantra, Aarti in Hindi Update: शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर से आरंभ हो गए हैं और आज यानी 04 अक्टूबर को नवरात्रि का दूसरा दिन है। वहीं इस दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है।  ये मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप और नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं। मां दुर्गा का यह स्वरूप ज्योर्तिमय है। ब्रह्मा की इच्छाशक्ति और तपस्विनी का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। वहीं  देवी के इस रूप को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है। वहीं ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना करने से भक्त के तप की शक्ति में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी का भोग, आरती और मंत्र… 

Live Updates
15:46 (IST) 4 Oct 2024
माता चंद्रघंटा देवी कवच

॥ कवच ॥

रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्॥बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धारं बिना होमं।स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकम॥कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥

15:39 (IST) 4 Oct 2024
मां चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

13:17 (IST) 4 Oct 2024
नवरात्रि के तीसरे दिन किनकी पूजा

नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है, जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति को हर एक दुख-दर्द से छुटकारा मिल जाता है।

12:19 (IST) 4 Oct 2024
Navratri 2024 Upay: नवरात्रि उपाय

पैसों की तंगी से परेशान है, तो नवरात्रि के दिनों में इस उपाय को अपना सकते हैं। इसे करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। इसके लिए नवरात्रि के 9 दिनों में 1 दिन मां लक्ष्मी के मंदिर जाएं, साथ ही मंदिर जाने के बाद वहां पर पूजा के दौरान केसर के साथ पीले चावल मां को अर्पित करें।

12:05 (IST) 4 Oct 2024
Shardiya Navratri 2024 Live: शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के 9 बीज मंत्र

चन्द्रघंटा माता- ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

मां कूष्मांडा – ऐं ह्री देव्यै नम:।

स्कंदमाता – ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

मां कात्यायनी -क्लीं श्री त्रिनेत्राय नम:।

कालरात्रि मां-क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

मां महागौरी -श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

मां सिद्धिदात्री -ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

12:04 (IST) 4 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं ये भोग (Shardiya Navratri Maa Brahmacharini bhog)

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। ब्रह्मचारिणी मां को भोग में चीनी और गुड़ से बनी चीजें चढ़ाई जाती हैं।

11:52 (IST) 4 Oct 2024
Sharidya Navratri 2024 Live: शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन किस रंग के पहनें कपड़े

नवरात्रि में हर एक किसी न किसी रंग से संबंधित है। मान्यता है कि ऐसा करने सुख- समृद्धि के साथ धन-वैभव की प्राप्ति होती है।

तृतीया- भूरा

चतुर्थी- नारंगी

पंचमी- सफेद

षष्टी- लाल

सप्तमी- नीला

अष्टमी- गुलाबी

नवमी- बैंगनी

11:23 (IST) 4 Oct 2024
शारदीय नवरात्रि क्या करें क्या न करें (Dont Do these Things During Navratri)

शुद्ध शाकाहारी भोजन करें।

शारदीय नवरात्रि के दौरान प्याज, लहसुन, शराब,मांस-मछली का सेवन नहीं करना चाहिए।

नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान लड़ाई- झगड़ा, कलह, क्लेश आदि करने से बचना चाहिए।

बच्चियों और महिलाओं का अनादर बिल्कुल भी न करें।

नवरात्रि के दौरा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

अगर आपने घर में कलश स्थापना की है, तो घर को अकेला छोड़कर न जाएंगे। किसी न किसी सदस्य को जरूर रहना चाहिए।

नवरात्रि के दौरान नाखून, बाल आदि काटने की भी मनाही होती है।

10:59 (IST) 4 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र (Maa Brahmacharini Puja Mantra)

मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

10:40 (IST) 4 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी का स्तोत्र पाठ

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति- मुक्ति दायिनी।शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

10:02 (IST) 4 Oct 2024
कन्या पूजन 2024 तिथि (Shardiya Navratri Kanya Pujan 2024 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से आरंभ हो रही है और 11 अक्टूबर को 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसके बाद नवमी लग जाएगी। इस आधार पर महाअष्टमी और महानवमी तिथि 11 अक्टूबर 2024 को है और इसी दिन कन्या पूजन करेंगे।

09:18 (IST) 4 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी की आरती ( Brahmacharini Mata Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi)

जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।ब्रह्मा जी के मन भाती हो।ज्ञान सभी को सिखलाती हो।ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा।जपे सकल संसारा।जय गायत्री वेद की माता।जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।कमी कोई रहने न पाए।कोई भी दुख सहने न पाए।

पूरी खबर के लिए क्लिक करें- Maa Brahmacharini Aarti: जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता, जय चतुरानन प्रिय सुख दाता…नवरात्रि का दूसरे दिन करें ये आरती

08:51 (IST) 4 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि (Maa Brahmacharini Puja Vidhi)

नवरात्रि के दूसरे दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके साथ साफ वस्त्र धारण कर लें। अगर आपने कलश स्थापना की गई है,तो फूल, माला सहित अन्य सूखी चीजें हटा दें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। मां दुर्गा को फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि लगाने के साथ चीनी या इससे बनी चीजों का भोग लगाएं। इसके साथ ही फल आदि चढ़ाएं और फिर घी का दीपक, धूप आदि जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के साथ मंत्र, चालीसा आदि पढ़ लें।

18:30 (IST) 3 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं ये भोग (Shardiya Navratri Maa Brahmacharini bhog)

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। ब्रह्मचारिणी मां को भोग में चीनी और गुड़ से बनी चीजें चढ़ाई जाती हैं।

18:05 (IST) 3 Oct 2024
दुर्गा चालीसा लिरिक्स इन हिंदी (Durga Chalisa Lyrics in Hindi)

नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥निराकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥शशि ललाट मुख महाविशाला । नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ॥तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ॥अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥शिव योगी तुम्हरे गुण गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा ॥धरा रूप नरसिंह को अम्बा । प्रगट भईं फाड़कर खम्बा ॥रक्षा कर प्रह्लाद बचायो । हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं । श्री नारायण अंग समाहीं ॥क्षीरसिन्धु में करत विलासा । दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ॥मातंगी अरु धूमावति माता । भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥श्री भैरव तारा जग तारिणी । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ॥कर में खप्पर-खड्ग विराजै । जाको देख काल डर भाजे ॥सोहै अस्त्र और त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥नगर कोटि में तुम्हीं विराजत । तिहुंलोक में डंका बाजत ॥शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे ॥महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ॥अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहें अशोका ॥ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर-नारी ॥प्रेम भक्ति से जो यश गावै । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई ॥जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥शक्ति रूप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछितायो ॥शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥आशा तृष्णा निपट सतावे । मोह मदादिक सब विनशावै ॥शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥करो कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ॥जब लगि जियउं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥दुर्गा चालीसा जो नित गावै । सब सुख भोग परमपद पावै ॥देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

17:39 (IST) 3 Oct 2024
मां दुर्गा आरती (Maa Durga Aarti)

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।तुमको निशदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को ।उज्ज्वल से दोउ नैना,चंद्रवदन नीको ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै ।रक्तपुष्प गल माला,कंठन पर साजै ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्पर धारी ।सुर-नर-मुनिजन सेवत,तिनके दुखहारी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती ।कोटिक चंद्र दिवाकर,सम राजत ज्योती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे,महिषासुर घाती ।धूम्र विलोचन नैना,निशदिन मदमाती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे ।मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी,तुम कमला रानी ।आगम निगम बखानी,तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरों ।बाजत ताल मृदंगा,अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता,भक्तन की दुख हरता ।सुख संपति करता ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित,वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]मनवांछित फल पावत,सेवत नर नारी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत,अगर कपूर बाती ।श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति,जो कोइ नर गावे ।कहत शिवानंद स्वामी,सुख-संपति पावे ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।

17:35 (IST) 3 Oct 2024
मां दुर्गा के 108 नाम का करें जाप

सती, साध्वी, भवप्रीता, भवानी, भवमोचनी, आर्या, दुर्गा, जया, आद्या, त्रिनेत्रा, शूलधारिणी, पिनाकधारिणी, चित्रा, चंद्रघंटा, महातपा, मन, बुद्धि, अहंकारा, चित्तरूपा, चिता, चिति, सर्वमंत्रमयी, सत्ता, सत्यानंदस्वरुपिणी, अनंता, भाविनी, भव्या, अभव्या, सदागति, शाम्भवी, देवमाता, चिंता, रत्नप्रिया, सर्वविद्या, दक्षकन्या, दक्षयज्ञविनाशिनी, अपर्णा, अनेकवर्णा, पाटला, पाटलावती, पट्टाम्बरपरिधाना, कलमंजरीरंजिनी, अमेयविक्रमा, क्रूरा, सुंदरी, सुरसुंदरी, वनदुर्गा, मातंगी, मतंगमुनिपूजिता, ब्राह्मी, माहेश्वरी, ऐंद्री, कौमारी, वैष्णवी, चामुंडा, वाराही, लक्ष्मी, पुरुषाकृति, विमला, उत्कर्षिनी, ज्ञाना, क्रिया, नित्या, बुद्धिदा, बहुला, बहुलप्रिया, सर्ववाहनवाहना, निशुंभशुंभहननी, महिषासुरमर्दिनी, मधुकैटभहंत्री, चंडमुंडविनाशिनी, सर्वसुरविनाशा, सर्वदानवघातिनी, सर्वशास्त्रमयी, सत्या, सर्वास्त्रधारिणी, अनेकशस्त्रहस्ता, अनेकास्त्रधारिणी, कुमारी, एककन्या, कैशोरी, युवती, यति, अप्रौढ़ा, प्रौढ़ा, वृद्धमाता, बलप्रदा, महोदरी, मुक्तकेशी, घोररूपा, महाबला, अग्निज्वाला, रौद्रमुखी, कालरात्रि, तपस्विनी, नारायणी, भद्रकाली, विष्णुमाया, जलोदरी, शिवदुती, कराली, अनंता, परमेश्वरी, कात्यायनी, सावित्री, प्रत्यक्षा और ब्रह्मावादिनी।

17:30 (IST) 3 Oct 2024
दुर्गा सप्तशती के इन स्त्रोंतो का करें पाठ

दुर्गा सप्तशती पाठ के इन 13 अध्यायों में मां दुर्गा के तीन चरित्रों के बारे में बताया गया है। अगर आप इसका संपूर्ण पाठ नहीं कर पाते हैं, तो इन 7 श्लोकों का पाठ कर सकते हैं-

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।

सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥

शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते॥4॥

सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते। भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते॥

रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति॥

सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्॥

17:27 (IST) 3 Oct 2024
मां ब्रह्माचारिणी की कथा

पूर्वजन्म में ब्रह्मचारिणी देवी ने पर्वतों के राजा हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। साथ ही नारदजी के उपदेश से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।

कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए. कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की. यह आप से ही संभव थी। आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ. जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं। मां की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है।

17:25 (IST) 3 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी की आरती ( Brahmacharini Mata Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi)

जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।ब्रह्मा जी के मन भाती हो।ज्ञान सभी को सिखलाती हो।ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा। जपे सकल संसारा।जय गायत्री वेद की माता।जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।कमी कोई रहने न पाए।कोई भी दुख सहने न पाए।उसकी विरति रहे ठिकाने।जो तेरी महिमा को जाने।रुद्राक्ष की माला ले कर।जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।आलस छोड़ करे गुणगाना।मां तुम उसको सुख पहुंचाना।ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।पूर्ण करो सब मेरे काम।भक्त तेरे चरणों का पुजारी।रखना लाज मेरी महतारी। 

17:25 (IST) 3 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी का कवच

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

अंत में क्षमा प्रार्थना करें “आवाहनं न जानामि न जानामि वसर्जनं, पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरी” ।

17:24 (IST) 3 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी का स्तोत्र पाठ

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति- मुक्ति दायिनी।शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

17:24 (IST) 3 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र (Maa Brahmacharini Puja Mantra)

मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

17:23 (IST) 3 Oct 2024
मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप

वहीं दुर्गा सप्तशती के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण किए हैं और दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए सुशोभित हैं।