Shardiya Navratri 10 Day, Maa Siddhidatri Vrat Katha In Hindi: शारदीय नवरात्रि की नौवें दिन मां दुर्गा के 9वें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन कन्या पूजन करने के साथ कई साधक व्रत का पारण कर देते हैं। मां दुर्गा का ये स्वरूप की पूजा करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही बुरे कर्मो से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है और हर मनोकामना भी पूर्ण होती है। आमतौर पर मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा नौवें दिन होती है। लेकिन इस बार नवरात्रि दस दिन पड़ने के कारण सिद्धिदात्री की पूजा आज की जा रही है। माता सिद्धिदात्री के स्वरूप की बात करें, तो उन्होंने सफेद रंग के वस्त्र धारण किया है और कमल पुष्य पर विराजित है। इसके साथ ही दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प और ऊपर वाले में शंख है। वहीं बाएं तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र है। गले में सफेद फूलों की माला और माथे में तेज नजर आ रहा है और उनका वाहन सिंह है। आज शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करें। इसके साथ ही व्रत कथा का पाठ अवश्य करें…
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सिद्धिदात्री व्रत कथा (Maa Siddhidatri Vrat Katha In Hindi)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का आधा शरीर मां सिद्धिदात्री से जुड़ा हुआ है। एक समय की बात है, जब ब्रह्मांड में केवल अंधकार था, तब माँ कुष्मांडा, जिनकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। त्रिदेव यानी भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की रचना की और उन्हें सृष्टि के निर्माण का कार्य सौंपा। ब्रह्मा जी को सृष्टि का कर्ता, विष्णु जी को पालनकर्ता और शिव जी को संहारक का कार्य सौंपा गया। एक बार भगवान शिव ने मां कुष्मांडा से प्रार्थना की और उनसे अपनी पूर्णता प्राप्त करने की विनती की। तब मां कुष्मांडा ने एक और देवी की रचना की, जिन्हें मां सिद्धिदात्री या सिद्धियों की प्रदाता कहा जाता है। मां सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को अष्ट सिद्धि और 18 सिद्धियों का आशीर्वाद दिया। इन 18 सिद्धियों में न केवल अष्ट सिद्धि (आठ सिद्धियां) शामिल थीं, बल्कि 10 अन्य सिद्धियां भी थीं, जिन्हें भगवान कृष्ण ने माध्यमिक सिद्धियों के रूप में परिभाषित किया था। इसके बाद, भगवान ब्रह्मा जी को ब्रह्मांड में जीवन के लिए एक पुरुष और एक महिला की आवश्यकता महसूस हुई। तब माँ सिद्धिदात्री ने स्वयं को भगवान शिव के आधे शरीर से जोड़ लिया। भगवान शिव का वह रूप, जिसमें वह आधे पुरुष और आधे स्त्री होते हैं, अर्धनारीश्वर कहलाता है। यही कारण है कि भगवान शिव का अर्द्ध रूप अर्धनारीश्वर, उनके और मां सिद्धिदात्री के संबंध का प्रतीक है।
मां सिद्धिदात्री की आरती (Maa siddhidatrI Aarti Lyrcis )
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम
जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है
तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,
तुम सब काज उसके कराती हो पूरे
कभी काम उसके रहे न अधूरे!!
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया
रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 28 सितंबर को तुला राशि में रहकर मंगल दिग्बली हो गए हैं और कुंभ राशि में मौजूद राहु और मिथुन राशि में मौजूद गुरु एक-दूसरे से त्रिकोण में होंगे, जिससे काम त्रिकोण नामक योग का निर्माण होगा। ऐसे में 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव देखने को मिलेगा, लेकिन इन तीन राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है। जानें इन लकी राशियों के बारे में
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