Chaitra Navratri September 2022 Day 1 Devi Maa Shailputri Mantra, Arti, Vrat Katha, Puja Vidhi in Hindi: वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से मां आदिशक्ति की पूजा का आरम्भ हो जाता है। शारदीय नवरात्रि पर माता के 9 स्वरूपों की पूजा- अर्चना होती है और प्रतिपदा के दिन मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं। मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री थीं। सफेद वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। मां के माथे पर चंद्रमा सुशोभित है। यह नंदी बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। शैलपुत्री मां को वृषोरूढ़ा और उमा के नामों से भी जाना जाता है। मान्यता है की मां शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय के घर में हुआ था, जिसके कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। आइए जानते हैं क्या मां है शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र।

जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर यानि की आज घटस्थापना होगी।  इस दिन सुबह 06 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 02 मिनट तक कलश स्थापना कर सकते हैं। इस दिन सुबह 11 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इस समय घट स्थापना कर सकते हैं।

जानिए पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित करें। इसके बाद मां शैल पुत्री का व्रत रखें और संकल्प करें। मां शैलपुत्री को सफेद पुष्प अर्पित करें। इसके बाद सफेद वस्त्र भी अर्पित करें। शैलपुत्री माता की कथा करें और दुर्गा सप्शती का पाठ करें। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें। बाद में मां की आरती करें औ मां से आशीर्वाद मांगे।

मां शैलपुत्री के मंत्र:
-ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

देवी शैलपुत्री का प्रार्थना मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल पर सवार।
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।

पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।।

सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।

घी का सुंदर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

माता शैलपुत्री को इन चीजों का लगाएं भोग:

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप को गाय के घी और दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है।

वैदिक पंचांग के अनुसार 24 सितंबर को वैभव और ऐश्वर्य के दाता शुक्र कन्या राशि में गोचर किया है। जहां पर पहले से बुध ग्रह और सूर्य देव स्थित हैं। जिससे नवरात्रि त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है। वहीं 26 सितंबर यानी आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हुई हैं। इसलिए नवरात्रि में इस योग का बनना बेहद शुभ माना जा रहा है। यह योग सिंह, वृश्चिक और धनु राशि वालों को लाभप्रद साबित हो सकता है।