Sharad Purnima 2020 Vrat Vidhi, Vrat Katha: इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन माता महालक्ष्मी की उपासना की जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की आराधना करने से घर में धन-धान्य की प्राप्ति होती है। बताया जाता है कि इस दिन चांद की रोशनी में खीर रखकर खाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इससे आकाश से अमृत की वर्षा होती है। कई लोग इस दिन को महत्वपूर्ण मानते हुए व्रत रखते हैं।
शरद पूर्णिमा व्रत विधि (Sharad Purnima Vrat Vidhi)
शरद पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठें।
फिर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
इसके बाद चौकी लगाकर पर माता महालक्ष्मी और भगवान विष्णु को विराजमान कर उनकी आराधना करें।
फिर विधिपूर्वक पूजन करें। पूजा संपन्न करने के बाद संभव हो सके तो गाय के दूध से खीर बनाएं।
शाम को दोबारा पूजन कर लक्ष्मी मां को इस खीर का भोग लगाएं। अब इस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखें।
शाम ढलने से पहले आप भी फलाहार कर लें।
फिर अगले दिन खीर को चंद्रमा की रोशनी से हटाकर घर के सभी सदस्यों में यह प्रसाद बांटें।
कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत बरसता है। इसलिए ही यह मान्यता है कि यह खीर खाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा कथा (Sharad Purnima Katha)
एक नगर में एक ब्राह्मण रहा करता था। उसकी दो पुत्रियां थी। उसकी बड़ी पुत्री हर पूर्णिमा का व्रत किया करती थी। जबकि छोटी बेटी चंचल मन होने की वजह से व्रत पूरा नहीं कर पाती थी। दोनों के जवान होने पर उनका विवाह हो जाता है। कुछ समय के बाद बड़ी बहन को एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति होती है। लेकिन छोटी बहन के कोई संतान नहीं हो पाती है।
उसके पति के कामकाज पर भी नकारात्मकता रहने लग जाती है। ससुराल वालों को जब समझ नहीं आ पाता है कि इस बुरे मौहोल की क्या वजह है तब वह घर में ज्योतिष को बुलाकर पूछते हैं इसकी वजह क्या है। ज्योतिष बताते हैं कि इन सब की वजह पूर्णिमा व्रत न रखना और अधूरा छोड़ना है। तब छोटी बहन को सारी बात समझ आती है और वह अपने मरे हुए पुत्र को अपनी बड़ी बहन के स्पर्श से ही जीवित कर लेती हैं।