Sharad Purnima 2020 Date, Puja Timings: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करता है। न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आयुर्वेद में भी इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक इस रात चांद की किरणों में ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होने देते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाले लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्तूबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं महत्व, पूजा विधि और समय –

शरद पूर्णिमा इसलिए है खास: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं। माना जाता है कि इस दौरान जो भी व्यक्ति जगा हुआ रहता है, उन पर मां लक्ष्मी सदैव अपनी कृपा-दृष्टि बनाये रखती हैं। ये भी कहा जाता है कि इस विशेष रात को देखने के लिए तमाम देवी-देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आ जाते हैं। शरद पूर्णिमा पर चांद अलग ही छटा बिखेरता है। वहीं, अगर कोई नवविवाहित महिला किसी नये व्रत की शुरुआत करना चाहती हैं, तो ये दिन इसके लिए उपयुक्त है।

जान लीजिए तिथि व मुहूर्त: 

शरद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 45 मिनट से

शरद पूर्णिमा तिथि समाप्ति – 31 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट तक

ये है पूजन का तरीका: इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और फ्रेश होकर घर की मंदिर साफ कर लें। मां लक्ष्मी का स्मरण करें और श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। सबसे पहले चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें। उनके समक्ष घी का दीया जलाएं। मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें, साथ ही अक्षत्-रोली का तिलक लगाएं।

क्या है व्रत विधि: शरद पूर्णिमा को सभी व्रतों में उत्तम माना जाता है। सबसे पहले व्रतियों को अपने इष्ट देवता की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान लोगों को तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करना चाहिए। साथ ही, इस दिन विष्णु सहस्त्र नाम का जाप, कनकधारा स्तोत्र, भगवान कृष्ण का मधुराष्टकं और श्रीसू्क्त का पाठ करने से भी लाभ मिलने की मान्यता है। विष्णु और मां लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामग्री में धूप, दीप, नैवेद्य (खीर) इत्यादि को शामिल करना अच्छा माना गया है।  इसके अलावा, इस दिन रात्रि जागरण, ब्राह्मण भोजन व दक्षिणा को भी उत्तम माना गया है।