Shani Amavasya Muhurat 2025: शास्त्रों में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि पितरों के निमित्त समर्पित होती है। आपको बता दें कि जब भी अमावस्या तिथि शनिवार को पड़ती है तब उसको शनिचरी अमावस्या कहा जाता है। इस साल चैत्र की अमावस्या 29 मार्च, शनिवार को पड़ रही है। मान्यता है इस दिन शनि देव की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही शनि देव सभी कष्ट हर लेते हैं। आइए जानते हैं तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त…
शनि अमावस्या तिथि 2025 (Shani Amavasya Tithi 2025)
ज्योतिष पंचांग के मुताबिक चैत्र अमावस्या तिथि 28 मार्च रात 7 बजकर 56 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन यानी 29 मार्च को शाम 4 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। हिन्दू धर्म में उदयातिथि का विशेष महत्व होता है, ऐसे में 29 मार्च को शनि अमावस्या मनाई जाएगी।
शनि अमावस्या पर बन रहे हैं 2 शुभ योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि अमावस्या के दिन ब्रह्म और इंद्र योग का संयोग बन रहा है। साथ ही दुर्लभ शिववास योग का भी संयोग है। इन संयोग में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है।
शनि अमावस्या पंचांग 2025
- इस दिन सूर्योदय सुबह 06:15 मिनट पर होगा, जबकि सूर्यास्त शाम 06:37 मिनट पर।
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:42 मिनट से 05:28 मिनट तक रहेगा।
- वहीं, विजया मुहूर्त दोपहर 02:30 मिनट से 03:19 मिनट तक रहेगा।
- गोधूलि मुहूर्त शाम 06:36 मिनट से शाम 06:59 मिनट तक होगा।
- निशिता मुहूर्त रात्रि 12:02 मिनट से 12:49 मिनट तक होगा।
शनिश्चरी अमावस्या महत्व
शनि अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। वहीं इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है। मान्यता है श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शनि अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है। वहीं जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है उन्हें शनिश्चरी अमावस्या के दिन पीपल और शनि देव की की पूजा करनी चाहिए। इस दिन उड़द की दाल, काला कपड़ा, काले तिल और काले चने को किसी गरीब को दान देने से शनिदेव का आशीर्वाद बना रहता है।