शनिश्चरी अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। इस दिन शनि देव के साथ- साथ पित्रो की भी पूजा- अर्चना की जाती है। इस साल शनिश्चर अमावस्या 30 अप्रैल को पड़ रही है। शनिवार पड़ जानें के कारण इसका विशेष महत्व बन गया है। जिसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जानते है। हर माह की अमावस्या श्राद्ध की अमावस्या कही जाती है। इस दिन पितरों के लिए अर्पण किया गया दान अगर ब्राह्मण को दिया जाए तो यह बहुत शुभ होता है। आइए जानते है पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए क्या उपाय करने चाहिए…
पीपल के पेड़ का करें ये उपाय:
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है वो शनिश्चर अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और एक कास्य के पात्र में दूध, गंगा जल, कालें तिल लें। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करतें हुए ऊं ब्रह्म देवाय नम: का जाप करते रहें। परिक्रमा पूरी होनें के बाद पीपड़ पर एक जनेऊ अर्पित करें। साथ ही इस दिन प्रसाद में काली या सफेद चीज चढ़ाएं और प्रार्थना करें कि हे ब्रह्म देव, हे शनिदेव, हे पितृ देव हमसें कोई भूल हो गई हो तो माफ करिएगा और हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखिए।
पितरों का करें तर्पण:
अमावस्या के दिन अपने पितरों का तर्पण करना चाहिए। आपको बता दें कि जल, जौं और काले तिल समेत पुष्पों के साथ तर्पण करने पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।
ब्राह्मण भोज कराएं:
अमावस्या के दिन पूर्वजों की पसंद का खाना बनाकर किसी ब्राह्मण को भोजन जरूर कराना चाहिए। साथ ही उन्हें कुछ दक्षिणा भी जरूर देनी चाहिए। इससे पित्तरों का आशीर्वाद मिलता है।
शाम को इन स्त्रोतों का करें पाठ:
ऐसा माना जाता है कि शाम के वक्त गोधूलि बेला में पितर अपने प्रियजनों को देखने धरती का रुख करते हैं। इसलिए अमावस्या की शाम के वक्त दीपक जलाकर नाग स्त्रोतं, महामृत्युंजय मंत्र और रुद्र सूक्त या पितर स्त्रोत और नवग्रह स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इससे पितृों का आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा और सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।