Shani Gochar 2026:  ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को आयु प्रदाता, कर्मफलदाता और न्यायाधीश माना जाता है। वहीं शनि ग्रह आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि के कारक माने जाते हैं। आपको बता दें कि शनि देव अभी मीन राशि में संचरण कर रहे हैं और साल 2026 में भी यही संचरण करेंगे। लेकिन चार महीने के अंतराल में वक्री और मार्गी होंगे। इसके अलावा मार्च और अप्रैल के महीने में अस्त और उदय भी होंगे। ऐसे में साल 2026 में कुछ राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या का अशुभ प्रभाव रहेगा। जिससे इन राशियों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। साथ ही इन राशियों को धनहानि और सेहत खराब के योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं ये राशियां कौन सी हैं…

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इन राशियों पर रहेगा साढ़ेसाती का असर

ज्योतिष शास्त्र अनुसार मेष राशि के ऊपर 2026 में भी साढ़ेसाती का अशुभ प्रभाव रहेगा। वहीं मीन राशि पर दूसरे चरण की, और कुंभ राशि पर तीसरे और अंतिम चरण की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। ऐसे में साल 2026 में इन 3 राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का अशुभ प्रभाव रहेगा। ऐसे में इन राशियों को सावधान रहना पड़ेगा। इन राशियों को मानसिक परेशानियां हो सकती है। वहीं इस व्यापारियों की आय धीमी होगी। साथ ही इस समय आपको नौकरीपेशा लोगों को नौकरी नहीं बदलनी चाहिए। मतलब बहुत सोच- समझकर डिसीजन लेना चाहिए। वहीं अभी किसी को उधार धन नहीं देना चाहिए।

इन राशियों पर रहेगा ढैय्या का कष्टमय प्रभाव

शनि देव के मीन राशि में भ्रमण करते हुए धनु और सिंह राशि पर ढैय्या का कष्टमय असर रहेगा। मतलब इन राशियों पर साल 2026 में शनि की ढैय्या का सामना करना पड़ेगा। इसलिए इन लोगों का स्वास्थ्य़ संंबंधी समस्या हो सकती है। वहीं कहीं पैसा फस सकता है। साथ ही मेहनत इस अवधि में अधिक करनी पड़ेगी। वहीं फिजूल के खर्चे हो सकते हैं। 

करें ये ज्योतिषीय उपाय

1- साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव से बचन के लिए आप लोगों को शनिवार के दिन शनि प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। साथ ही शनि चालीसा का पाठ करें।

2- पीपल में नियमित रूप से हर शनिवार दूध और जल मिलाकर चढ़ाएं। ऐसा करने से अटके हुए कार्य बनेंगे। शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

3- शनिवार के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को कंबल, सरसों का तेल और काली दाल का दान करना चाहिए।

4- शनि के बीज मंत्र ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:।’ का प्रतिदिन जाप करना चाहिए।

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