Negative Effects of Shani Sade Sati on Aquarius: ज्योतिष में शनि का विशेष महत्व है। यह व्यक्तियों को उनके कर्मों के आधार पर शुभ और अशुभ फल देता है। इसी कारण शनि देव को कर्म का दाता और न्याय का देवता माना जाता है। शनि की चाल और राशि परिवर्तन का निश्चित रूप से सभी राशियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, जिसके कारण यह किसी एक राशि में सबसे अधिक समय व्यतीत करता है, जिसके कारण उस राशि पर शनि का प्रभाव अधिक समय तक रहता है। शनि किसी एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहता है और सभी 12 राशियों का एक चक्र पूरा करने में लगभग 30 वर्ष का समय लगता है।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार 23 अक्टूबर को शनि मकर राशि में मार्गी हुए थे; यहां मार्गी का अर्थ है सीधा चलना। आपको बता दें कि 12 जुलाई से शनि मकर राशि में वक्री था। शनि को कुंभ और मकर राशि का स्वामी माना जाता है। जबसे शनि मकर राशि में है; तबसे धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर साढ़े साती का प्रकोप जारी है। कुंभ राशि वालों के लिए इस समय शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की तीन अवस्थाओं में से द्वितीय चरण सबसे अधिक कष्ट देने वाला होता है। ऐसे में कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण आने से इस राशि के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आइए जानते हैं कब और कब कुम्भ से साढ़े साती दूर होगी और इसके उपाय क्या हैं-
कुंभ और साढ़े साती का दूसरा चरण
वैदिक ज्योतिष गणना के अनुसार, शनि ने इस वर्ष 24 अप्रैल, 2022 को मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश किया था। इस प्रकार कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती का दूसरा और सबसे कष्टदायक चरण शुरू हुआ। शनि के मकर राशि में होने के कारण मकर, कुम्भ और मीन राशि पर साढ़े साती का प्रभाव देखने को मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर कर्क और वृश्चिक राशि के जातक भी शनि से प्रभावित हैं।
23 अप्रैल 2022 को शनि ने कुंभ राशि में प्रवेश किया, फिर 05 जून को वक्री हुए थे। इसके बाद 12 जुलाई 2022 को यह फिर से मकर राशि में प्रवेश कर गया और पिछले महीने ही 23 अक्टूबर को मकर राशि में मार्गी हुए। अब शनि पूरे वर्ष इसी राशि में विराजमान रहेंगे। अगले वर्ष यानि 17 जनवरी 2023 को शनि पुन: कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। जिससे कुंभ राशि वालों की और परेशानी बढ़ सकती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 24 जनवरी 2022 से शनि की कुंभ राशि वालों पर साढ़े साती है और इस राशि से साढ़े साती का प्रभाव 03 जून 2027 को समाप्त होगा। साढ़े साती की दूसरी अवस्था सबसे कष्टदायक मानी जाती है।
शनिवार के दिन करें ये आसान उपाय
शनिवार के दिन लोहा, काला सामान, काले रंग का छाता, काले उड़द की दाल, चमड़े के जूते आदि नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि काले रंग की वस्तुएं खरीदने से शनि के अशुभ प्रभाव की शुरुआत होती है। शनिवार के दिन शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। शनिदेव को काली उड़द की दाल और काले तिल का भोग लगाना चाहिए। साथ ही शनिवार के दिन किसी गरीब व्यक्ति को दान देना चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल देते हैं।
शनिवार के दिन मंदिर में इस्तेमाल होने वाली लोहे की वस्तुओं को मंदिर में दान कर देना चाहिए। साथ ही शनिवार की सुबह सरसों के तेल से मालिश कर स्नान करें और शनिवार के दिन गेहूं को पीसकर उसमें काले चने मिला दें। इससे शनि देव आर्थिक समृद्धि प्रदान करते हैं। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे शनि के अशुभ फल का प्रभाव कम होता है। काली चीटियों को मैदा और शक्कर खिलाने से शनि का अशुभ प्रभाव दूर हो जाता है।