Shani Sadesati Ke Upay: शनि साढ़ेसाती और शनि ढैय्या की वजह से ज्यादातर लोगों शनिदेव से डरते हैं। लेकिन ऐसा बताया जाता है कि शनिदेव बहुत दयालु, कृपालु और शरणागत की रक्षा करने वाले हैं। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से शनिदेव की आराधना करता है और उनसे प्रार्थना करता है कि वह अपनी कृपा व्यक्ति पर बरसाएं तो शनि देव उस व्यक्ति पर कृपा जरूर करते हैं। मान्यता है कि शनि साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ उपाय किए जाने चाहिए। बताया जाता है कि इनसे शनि साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभावों से छुटकारा पाया जा सकता हैं।
शनि साढ़ेसाती के उपाय (Shani Sadesati Ke Upay)
शनि साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से बचने के लिए अमावस्या तिथि पर दिन ढलने के बाद शनिदेव के मंदिर में जाएं। वहां जाकर एक कटोरी सरसों के तेल में अपनी छवि देखें। फिर इस तेल को किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति को दे दें। अगर यह संभव ना हो पाए तो इस तेल का दीपक जलाकर मंदिर में रख आएं।
किसी भी अमावस्या तिथि या शनिवार की शाम शनिदेव का ध्यान करते हुए उनके मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रों सः श्नैचराय नमः’ का 7 या 11 माला जाप करें। संभव हो तो जाप करने के बाद एक मुट्ठी काले तिल लेकर किसी गरीब या जरूरतमंद को दान कर दें। कहते हैं कि इस तरह शनिदेव की आराधना करने से दुष्प्रभावों से बचा जा सकता हैं।
आटे में काले तिल मिलाकर एक रोटी बनाएं। इस रोटी को हाथ में लेकर शनिदेव का ध्यान करें। उनके स्वरूप के बारे में विचार करते हुए उनसे प्रार्थना करें कि वह आपके सभी कष्टों को दूर करें। इसके बाद इस रोटी को किसी आवारा कुत्ते को खिलाएं। यह उपाय रोजाना भी किया जा सकता है।
शनि साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुष्ठ रोगियों की सेवा करना बहुत अच्छा माना जाता हैं। जो लोग शनि साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव झेल रहे हैं उन्हें कुष्ठ रोगियों की सेवा करनी चाहिए। जब भी संभव हो उन्हें काले रंग के कपड़े का दान करें, काली दाल दान करें या काले तिल दान करें। अगर हो सके तो लोहा भी दान किया जा सकता है।