शनि साढ़े साती सात वर्षों तक चलने वाली ग्रह दशा को कहते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में कम से कम एक बार या इससे अधिक बार भी शनि साढ़े साती आ सकती है। कहा जाता है शनिदेव हमेशा व्यक्ति को उसके कर्म के हिसाब से शुभ अशुभ फल देते हैं। ज्योतिष शास्त्र अनुसार अगर किसी व्यक्ति के कर्म अच्छे हैं तो उस पर शनि की अच्छी दृष्टि पड़ती है जिससे उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा जो व्यक्ति बुरे कर्म करता है उसके लिए शनि साढ़े साती का चरण काफी कष्टकारी साबित होता है।

तीन राशि वालों पर है शनि साढ़े साती: शनि साढ़े साती को तीन चरणों में बांटा गया है इसका पहला चरण धनु, वृषभ, सिंह राशि वालों के लिए कष्टकारी होता है। तो वहीं इसका दूसरा चरण सिंह, मकर, मेष, कर्क और वृश्चिक राशियों के लिए दुखदायी रहता है। इसका तीसरा चरण मिथुन, कुंभ, तुला, वृश्चिक, मीन वालों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि की साढ़े साती चल रही है।

शनि साढ़े साती के उपाय: सावन का महीना चल रहा है। इस महीने में शिव की पूजा बड़ी ही फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि शिव की पूजा से शनि महाराज भी प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि इस माह में कुछ खास ज्योतिषीय उपायों से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। शनिदेव को शांत करने के लिए सावन में शिवलिंग का शहद से अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर तिल भी चढ़ा सकते हैं। सावन के शनिवार में पान में लोहे की कील, काले तिल और एक रुपया रखकर शनिदेव को चढ़ाने से शनि साढ़े साती से मुक्ति मिलती है।

सावन महीने के आखिरी शनिवार को पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें उसके पश्चात काली चींटियों को गुड़ दीजिए। ऐसा करने से शनि के दोषों से छुटकारा मिलने की मान्यता है। जिन व्यक्तियों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है उन व्यक्तियों को हर शनिवार शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। सावन के आखिरी शनिवार को घर में शनि यंत्र की स्थापना करके पूजा करने से भी शनि की कृपा बरसती है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन सुबह-सुबह कांसे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखिये और उस तेल को दान कर दीजिए। इसके अलावा जरूरतमंदों को दान करना और निर्धनों को खाना खिलाने से भी शनिदेव बहुत शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।