Shani Sade Sati On Dhanu Rashi: वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष महत्व माना जाता है। इन्हें कर्मफल दाता की उपाधि प्राप्त है। ये एक राशि के दूसरी राशि में जाने के लिए ढाई साल का समय लेता है। ये ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी ग्रह है। तुला इसकी उच्च राशि है तो मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि की जो दशा साढ़े सात साल की होती है उसे शनि साढ़े साती कहते हैं और जो दशा ढाई वर्ष की होती है उसे शनि ढैय्या कहते हैं। फिलहाल धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि साढ़े साती चल रही है जानिए किस राशि वालों को इससे जल्द मुक्ति मिलने वाली है।
इन राशियों पर है शनि साढ़े साती: 24 जनवरी 2020 से ही शनि मकर राशि में गोचर हैं। इस समय मकर, धनु और कुंभ वाले जातकों पर शनि साढ़े साती चल रही है तो मिथुन और तुला वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। शनि की साढ़े साती धनु वालों के लिए उतनी कष्टदायी नहीं मानी जाती। क्योंकि धनु राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति से शनि के संबंध अच्छे माने जाते हैं। वहीं कुंभ और मकर राशि वालों पर भी शनि साढ़े साती का उतना बुरा असर नहीं पड़ता क्योंकि शनि इन दोनों ही राशियों के स्वामी ग्रह हैं।
धनु राशि वालों को शनि दशा से कब मिलेगी मुक्ति? बता दें 29 अप्रैल 2022 में शनि कुंभ राशि में प्रवेश कर जायेंगे। जिससे धनु राशि के जातकों को शनि साढ़े साती से मुक्ति मिल जायेगी। लेकिन मकर और कुंभ वालों को इससे मुक्ति पाने में अभी समय लगेगा। लेकिन 12 जुलाई 2022 में ही शनि वक्री अवस्था में फिर से मकर राशि में प्रवेश करेंगे जिससे धनु वाले जातक एक बार फिर से शनि की चपेट में आ जायेंगे और 17 जनवरी 2023 तक इन पर शनि साढ़े साती बनी रहेगी। लेकिन इसके बाद धनु वाले शनि के प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त हो जायेंगे। (यह भी पढ़ें- सितंबर महीने में इन 4 राशियों को करियर में सफलता मिलने के प्रबल आसार, हो सकता है प्रमोशन)
कौन हैं शनि देव? धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शनि सूर्य देव और छाया के पुत्र हैं। लेकिन शनि के अपने पिता सूर्य से संबंध अच्छे नहीं माने जाते हैं। वैदिक ज्योतिष अनुसार कुंडली में सूर्य व शनि की युति शुभ नहीं मानी जाती है। शनि न्याय के देवता कहे जाते हैं जो लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यानी अच्छे कर्मों का अच्छा फल और बुरे कर्मों का बुरा फल। अगर कुंडली में शनि की स्थिति खराब है तो व्यक्ति को कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। शनि के बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनि देव की उपासना करने की सलाह दी जाती है। (यह भी पढ़ें- 26 अगस्त को बुध कन्या राशि में करेंगे प्रवेश, इन 3 राशि वालों को इस क्षेत्र में मिलेगा विशेष लाभ)