बहुत से लोग विदेश यात्रा का सपना देखते हैं लेकिन सभी की यह इच्छा पूरी नहीं होती है। बहुत से लोग बस सोचते रहते हैं और पूरी जिंदगी चली जाती है, जबकि कई लोग सैकड़ों-हजारों बार विदेश यात्रा करते हैं। ऐसा क्यों होता है विदेश यात्रा का रहस्य मनुष्य की कुंडली में छिपा है। वैदिक ज्योतिष में शनि और राहु को विदेश यात्राओं का कारक ग्रह कहा गया है। इसके अलावा कुंडली में अधिकांश ग्रहों की उपस्थिति भी विदेश यात्राओं का सूचक है।
कुंडली में तीसरा भाव छोटी यात्राएं, सप्तम भाव यात्रा और नवम भाव विदेश यात्राओं की जानकारी देता है। द्वादश भाव वातावरण में पूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है, इसलिए इसका संबंध विदेश यात्राओं या विदेश निवास से है।
इसके साथ ही ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो हमारी कुंडली में बने कुछ विशेष ग्रह योग ही हमारे जीवन में काम करने या विदेश यात्रा करने का योग बनाते हैं। हमारी कुंडली में बारहवें भाव का संबंध विदेश और विदेश यात्रा से जोड़ा गया है इसलिए दुख हो तो भी आज के समय में कुंडली के बारहवें भाव को एक अच्छे अवसर के रूप में देखा जाता है।
विदेश यात्रा के लिए चंद्रमा को कारक माना जाता है। कुंडली का दशम भाव हमारी आजीविका को दर्शाता है और शनि जीविकोपार्जन का स्वाभाविक कारक है, इसलिए बारहवें भाव, चंद्र, दशम भाव और शनि का विदेश यात्रा के लिए विशेष महत्व है।
जन्मकुंडली में विदेश यात्राओं के योग
- सूर्य लग्न में हो
- बुध आठवें भाव में हो
- शनि बारहवें भाव में हो
- लग्नेश सातवें भाव में चर राशि में हो
- शुक्र आठवें, छठे या सातवें भाव में हो
- दशम भाव और दशमेश चर राशि में हो
- सप्तमेश नवे भाव में हो चंद्र 11वें या 12वें भाव में हो
- दशमेश और दशमेश का नवांशश दोनों ही चर राशियों में हों
कब बनता है विदेश यात्रा का संभावित समय
- सूर्य की महादशा में
- राहु की दशा में सूर्य की अंतर्दशा
- नीच के बुध की महादशा में
- शनि की दशा में केतु की अंतर्दशा में
- सूर्य की महादशा में केतु की अंतर्दशा में
- केतु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा में
- केतु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा में
- यदि चंद्र केतु से केंद्र-त्रिकोण या 11वें भाव में हो
- उच्च के सूर्य, चंद्र, मंगल या बृहस्पति की महादशा
- बृहस्पति की दशा में यदि वह सातवें या 12वें भाव में चर राशि में है
- शुक्र की दशा में यदि वह सातवें में बैठा है या एक पाप ग्रह से संबंधित है
- मंगल की दशा में यदि वह बली होकर लग्न में बैठा है या सूर्य से संबंधित है