Shani Pradosh Vrat: हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि के साथ शनिवार का दिन है। पंचांग के अनुसार, द्वादशी तिथि शाम 7 बजकर 20 मिनट तक है। इसके बाद त्रयोदशी तिथि आरंभ हो जाएगी। इसके साथ ही आज रेवती, अश्विनी नक्षत्र के साथ आयुष्मान, सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। आज शनि प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। यह व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत पावन और फलदायी व्रत माना गया है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजन करने से व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। बता दें कि इस बार प्रदोष व्रत शनिवार को है, ऐसे में यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस खास दिन पर शिव जी के साथ-साथ शनि देव की भी पूजा का विशेष महत्व है।
प्रदोष व्रत क्या है?
प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। शास्त्रों के अनुसार, जो भी भक्त इस दिन पूरे श्रद्धा और नियम से व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष का मतलब है संध्या काल, यानी दिन और रात के बीच का समय। इस समय शिवजी की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।