Shani Jayanti 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भगवान शनि का जन्म हुआ था। इसी के कारण इस दिन शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, शनि देव भगवान सूर्य और देवी के पुत्र थे। भगवान शनि को कर्मफलदाता कहा जाता है, क्योंकि वह व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनि जयंती के दिन भगवान शनि की विधिवत पूजा करने का सथ सरसों का तेल चढ़ाने से व्यक्ति को शनि की साढ़े साती, ढैया, महादशा से मुक्ति मिल जाती है। जानिए शनि जयंती की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
शनि जयंती 2023 तिथि और पूजा मुहूर्त
तिथि- शनि जयंती 19 मई 2023 , शुक्रवार
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि आरंभ – 18 मई को रात 9 बजकर 42 मिनट से
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि समाप्त – 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट तक
शोभन योग – 18 मई को शाम 7 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 19 मई को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक
शनि जयंती का महत्व
शनि जयंती पर भगवान शनि की पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने और शनि मंदिर जाने से वह जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती ही। इसके साथ ही कुंडली में भी शनि की दशा सही हो जाती है। जिसके साथ ही जीवन में कभी भी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है।
शनि जयंती 2023 पूजा विधि
शनि जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद शनि देव का मनन करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। शनि मंदिर जाकर भगवान शनि की विधिवत पूजा करें। नीले रंग के फूल, माला, अक्षत, सिंदूर, आदि चढ़ाने के बाद भोग लगाएं। इसके साथ ही घी का दीपक जलाकर शनि चालीसा, शनि स्तोत्र आदि का पाठ कर लें। अंत में विधिवत तरीके से आरती कर लें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
शनि जयंती के दिन छाया दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा अपनी योग्यता के अनुसार गरीब और जरूरतमंद को अनाज, कपड़ा आदि का जरूर दान दें।
