Shani Dev: वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि सभी नौ ग्रहों में सबसे धीमी गति से राशि बदलने वाले ग्रह माना जाता है। दरअसल शनि को एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में लगभग 2.5 वर्ष लगते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि एक हानिकर यानी नुकसान पहुंचाने वाला ग्रह है चूंकि शनि को कर्मफल दाता कहा गया है, यानि कर्मों के हिसाब से फल देने वाला ग्रह।
इसलिए इस ग्रह से जुड़ा एक मिथक भी है कि लोग आमतौर पर इसकी दशा के प्रभाव में उदास, दुःखी और तनावपूर्ण महसूस करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, जातकों की जन्म कुंडली में शनि के स्थान पर निर्भर करता है कि जातक को कौन से परिणाम मिलेंगे। जातक की कुंडली में शनि किस भाव में स्थित है, इससे भी परिणाम प्रभावित होते हैं।
बता दें कि वर्तमान में शनि मकर राशि में स्थित है लेकिन 29 अप्रैल में ये राशि बदलने जा रहे हैं। इस दौरान शनि अपनी स्वराशि कुंभ में प्रवेश करेंगे जहां ये 29 मार्च 2025 तक विराजमान रहेंगे। आइए जानते हैं कि शनि गोचर का किन राशियों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा-
कर्क राशि: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के कुंभ राशि में प्रवेश के साथ ही अगले ढाई साल कर्क राशि वालों के लिए परेशानी भरे साबित हो सकते हैं। यह इसलिए है चूंकि शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही इस राशि वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ढैय्या के दौरान कोई भी काम बड़ी ही सावधानी से करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इस दौरान नुकसान होने की अधिक संभावना रहती है।
वृश्चिक राशि: शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने के साथ ही वृश्चिक राशि वालों पर भी शनि ढैय्या शुरू हो जाएगी। बता दें कि शनि ढैय्या की अवधि ढाई साल की होती है। ज्योतिष के अनुसार इस दौरान कार्य धीमी गति से पूरे होते हैं। माना जाता है कि शनि की ढैय्या के कारण किसी भी काम में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
मकर राशि: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मकर राशि वालों को सावधान रहने के साथ धैर्य बनाएं रखने की सलाह दी जाती है। शनि के इस गोचर के साथ ही मकर राशि के जातकों के लिए शनि साढ़े साती का आखिरी चरण शुरू हो जाएगा। इस दौरान कई परेशानियां हो सकती हैं, अचानक से सेहत बिगड़ने के साथ ही मन में अशांति और व्याकुलता भी हो सकती है। इस दौरान अधिक सोचने से बचें।
कुंभ राशि: ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक कुंभ राशि में शनि के प्रवेश करते ही कुंभ राशि वालों के लिए बेहद मुश्किल समय शुरू हो सकता है, चूंकि इस दौरान इस राशि के जातकों पर शनि साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। इस दौरान जातक के सामने शारीरिक, मानसिक और आर्थिक दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए इस दौरान बेहद सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है।
मीन राशि: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के गोचर के साथ ही 29 अप्रैल 2022 से मीन राशि वालों जातकों के लिए शनि साढ़े साती की शुरुआत हो जाएगी। पहले चरण को लेकर ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इसमें शारीरिक और आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं। जिन लोगों कि कुंडली में शनि मजबूत हैं उन्हें लाभ मिलता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं कमजोर शनि वालों को उपाय करने की सलाह दी जाती है।