Sani Gochar 2022 Effect, Shani ki shadhesati: वैदिक ज्योतिष में शनि को सबसे धीमा ग्रह माना गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शनि को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में लगभग 2.5 वर्ष का समय लगता है। तो कहा जाता है कि शनि एक राशि में ढाई साल तक रहता है। इसके अलावा शनि पूरे राशि चक्र को पूरा करने में 30 साल का समय लेता है। इसी कारण से शनि की साढ़े साती के तीन चरण बताए गए हैं, जिनमें प्रत्येक चरण 2.5 वर्ष का होता है। हाल ही में कुंभ राशि में गोचर के दौरान शनि की साढ़े साती के विभिन्न चरण राशियों को प्रभावित करेंगे।

शनि को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है। शनि गोचर के अनुसार 11 अक्टूबर 2021 को शनि सीधे मकर राशि में चला गया और अब 30 वर्ष बाद 2022 में 29 अप्रैल 2022 को अपनी राशि कुंभ राशि में गोचर कर गया। 5 जून 2022 से शनि वक्री गति शुरू कर दिए और इस दौरान शनि 12 जुलाई 2022 को फिर से मकर राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद अगले वर्ष 17 जनवरी 2023 को यह फिर से मकर राशि से कुम्भ राशि में गोचर करेंगे।

राशियों पर शनि का प्रभाव

शनि देव कुंभ राशि में बीते 5 जून को गोचर कर चुके हैं। इसके साथ ही 3 राशियों पर साढ़ेसाती का प्रकोप चल रहा है और 2 राशियां ढैय्या से जूझ रही हैं। शनि 5 जून 2022 से 29 मार्च 2025 तक कुंभ राशि में ही रहेंगे। इस समय कुंभ राशि वाले जातकों पर शनि का प्रकोप रहेगा।

धनु: 29 अप्रैल को शनि के गोचर से इन जातकों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी।

मकर राशि: 29 अप्रैल से 11 जुलाई 2022 तक शनि गोचर के कारण मकर राशि के जातकों के लिए शनि साढ़े साती अपने अंतिम चरण में होगी।

कुम्भ: वहीं इस गोचर के एक साल पहले की तरह इस पूरे साल भी शनि की साढ़े साती का सबसे ज्यादा असर कुंभ राशि पर देखने को मिलेगा. ऐसे में इन जातकों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। करियर और वित्त के मामले में यह समय कठिन हो सकता है। इसलिए आपको अपने आलस्य को छोड़ देना चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए। साथ ही अपने खर्चों पर भी नियंत्रण रखें।

मीन राशि: मीन राशि के जातकों के लिए 12 जुलाई 2022 तक शनि साढ़े साती अपने प्रथम चरण में रहेगी। ऐसे में इस राशि के लोगों को सलाह दी जाती है कि शनि की दशा के समय हर निर्णय धैर्यपूर्वक और सोच-समझकर लें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मिथुन और तुला राशि के जातकों पर 29 अप्रैल तक यानि शनि के मकर राशि में होने तक शनि ढैय्या मौजूद रहेंगे। लेकिन 29 अप्रैल को शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही इन जातकों को शनि ढैय्या से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर शनि ढैय्या की शुरुआत होगी। इस संबंध में इन राशियों पर शनि ढैय्या की अवधि अगले ढाई साल तक रहेगी और इसके परिणामस्वरूप इन दोनों राशियों के जातकों को ढैय्या प्रभाव के कारण कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय

धनु राशि: शनिवार के दिन छायादान करें।

मकर राशि: ज्योतिष अनुसार हो सके तो रोजाना या मुख्य रूप से शनिवार को सुबह भगवान शिव की पूजा करें और पीपल के पेड़ के पास शनि स्तोत्र का पाठ करें। उसके बाद कच्ची लस्सी में काले तिल डालकर पीपल के पेड़ की जड़ में उस लस्सी का भोग लगाना आपके लिए शुभ रहेगा।

कुंभ राशि: शनि की साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को दूर करने या कम करने के लिए शनि के बीज मंत्रों का जाप करें और पर्याप्त संख्या में महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करें, हवन करना भी आपके लिए उपयुक्त रहेगा।

मीन राशि: शुभ मुहूर्त या शनि होरा में काले घोड़े के जूते में कील से बनी अंगूठी, मध्यमा अंगुली में धारण करें।

तुला राशि: प्रत्येक शनिवार को काले कुत्तों को भोजन कराएं।

वृश्चिक राशि: प्रत्येक शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें या सुनें।

मिथुन राशि: शनिवार की अमावस्या के दिन शाम को सूर्योदय के बाद शनि की पूजा करना आपके लिए उचित रहेगा। शनि मंत्र का जाप करें और शनि स्तोत्र का पाठ करें।