शनि की ढैय्या (Shani Dhaiya) को छोटी पनौती भी कहा जाता है। जिसकी अवधि ढाई साल की होती है। शनि साढ़े साती की तरह ही शनि ढैय्या का प्रभाव भी व्यक्ति पर पड़ता है। लेकिन अंतर बस इतना है कि शनि साढ़े साती सात साल तक रहती है तो वहीं शनि ढैय्या केवल ढाई साल तक। वर्तमान में शनि मकर राशि में गोचर हैं। मिथुन और तुला वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। जानिए कब मिलेगी इन्हें शनि की इस छोटी पनौती से मुक्ति।

मिथुन राशि: इस राशि वालों पर 24 जनवरी 2020 से ही शनि ढैय्या चल रही है। इसकी समाप्ति 29 अप्रैल 2022 को होगी। लेकिन इसी साल 12 जुलाई से फिर से आपके ऊपर शनि ढैय्या शुरू हो जाएगी और 17 जनवरी 2023 तक ये रहेगी। बता दें शनि ढैय्या के दौरान आपको कई कष्टों का सामना करना पड़ेगा। किसी भी काम में सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम करना होगा। आर्थिक हानि होने के आसार रहेंगे। इसलिए सतर्क रहें। शनि की उपासना करते रहें।

तुला राशि: ये शनि की उच्च राशि है। माना जाता है इस राशि के जातकों के लिए शनि की दशा उतनी कष्टदायी साबित नहीं होती जितनी की बाकी राशि वालों के लिए होती है। शनि तुला वालों पर विशेष रूप से मेहरबान रहते हैं। आपके ऊपर भी 24 जनवरी 2020 से ही शनि ढैय्या चली आ रही है आपको इससे पूर्ण रूप से मुक्ति 17 जनवरी 2023 को मिलेगी। लेकिन 2022 में 29 अप्रैल से लेकर 12 जुलाई तक का समय आपके लिए राहत भरा साबित हो सकता है। क्योंकि इस दौरान कुछ समय के लिए आप शनि ढैय्या से मुक्त हो जायेंगे। (यह भी पढ़ें- शुक्र का अपनी स्वराशि तुला में प्रवेश, 5 राशि वालों को करियर में जबरदस्त सफलता मिलने के योग)

कैसे बनती है शनि साढ़े साती और ढैय्या? शनि जब किसी जातक की जन्‍म‍राशि से द्वादश या प्रथम या द्वितीय स्‍थान में होते हैं तब ये स्थिति शनि साढ़े साती कहलाती है। वहीं जब शनि गोचर से किसी राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में होते हैं तो यह स्थिति ढैय्या कहलाती है। शनि की दशा के दौरान व्यक्ति को मानसिक कष्ट, शारीरिक कष्‍ट, आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ता है। इस दौरान किसी भी काम में सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। (यह भी पढ़ें- मंगल ने कन्या राशि में किया प्रवेश, जानिए आपकी राशि पर इस गोचर का क्या पड़ेगा प्रभाव)