Shasha RajYoga in Astrology: वैदिक ज्योतिष में पंच महापुरुष राजयोग का वर्णन मिलता है। इन राजयोगों के नाम हैं, भद्र, मालव्य, शश, हंस और रुचक राजयोग। यहां हम बात करने जा रहे हैं शश राजयोग के बारे में, जिसका निर्माण न्यायाधीश शनि देव करते हैं। आपको बता दें कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शश राजयोग होता है। साथ ही व्यक्ति अति धनवान होता है। साथ ही समाज में वह अपनी अलग पहचान बनाता है। वहीं शनि देव की विशेष कृपा होती है। आपको बता दें कि शश राजयोग का निर्माण शनि देव के द्वारा होता है। आइए जानते हैं कुंडली में कैसे बनता है ये राजयोग और इसके क्या लाभ हैं…
ऐसे बनता है शश राजयोग
वैदिक ज्योतिष अनुसार इस राजयोग का निर्माण तब होता है जब शनि लग्न भाव से या चंद्र भाव से केंद्र भाव पर हो यानि शनि देव यदि किसी कुंडली में लग्न अथाव चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में शश योग बनता है। वहीं यहां हम ये देखना बहुत जरूरी है कि शनि देव की डिग्री क्या हैं और उनके ऊपर किस ग्रह की दृष्टि पड़ रही है।
होते हैं न्यायप्रिय और धनवान
अगर शनि देव कुंडली में तुला राशि में स्थित हैं तो इस राजयोग का पूरा फल मिलता है। क्योंकि शनि देव तुला राशि में उच्च के विराजमान होते हैं। वहीं इस राजयोग के बनने से व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और दान-पुण्य में आगे रहता है। ये लोग किसी के दबाव में काम नहीं कर सकते हैं। साथ ही ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी रहती है। साथ ही ये लोग धनवान होते हैं। ये लोग अपना काम समय पर पूरा करना पसंद होता है। वहीं ये लोग गरीबों की सहायता के लिए हमेशा आगे रहते हैं। ये लोग सामाजिक होते हैं। साथ ही दान- पुण्य में आगे रहते हैं।
होते हैं मेहनती और कर्मठ
शश राजयोग के प्रभाव से व्यक्ति कर्मठ और मेहनती होता है। साथ ही ये लोग बड़ी- बड़ी कंपनी में उच्च पद पर होते हैं। वहीं ये लोग अगर व्यापार करें तो ये लोग कई कंपनी के मालिक होते हैं।
