Shani Dev: ज्योतिष शास्त्र में शनि काफी महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह माना जाता है। शनि और गुरु दो ऐसे ग्रह है, जो काफी महत्वपूर्ण ग्रह होने के साथ सबसे ज्यादा ताकतवर माने जाते हैं। काल कुंडली में शनि दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी यानी कर्म और आय के भाव के स्वामी है। इसके अलावा शनि छह, आठ और ग्यारहवें भाव के कारक ग्रह है। इसके साथ ही शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह है और तीसरी, सातवीं और दसवीं में उनकी दृष्टि है। इसके साथ ही शनिदेन को साढ़े साती और ढैय्या का हक है जो गुरु बृहस्पति के पास भी नहीं है। इसलिए शनि व्यक्ति के जीवन में सबसे अधिक प्रभाव डालते हैं। शनि प्रतिदिन हर एक व्यक्ति को किसी न किसी तरह से प्रभावित करते हैं। इसी के कारण शनि को ज्योतिष का सबसे बड़ा ग्रह कहा जाता है। जहां बृहस्पति को थोड़ी दया, करुणा वाला ग्रह कहा जता है। वहीं शनि को न्यायाधीश और क्रूर ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। ऐसे में ये बात समझना बेहद जरूरी है कि यह आपको कैसे प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में शनि के बारे में अधिक जानने के लिए आपको कुंडली देखना जरूरी है। आइए जानते हैं शनि किन जातकों को सबसे अधिक करते हैं परेशान। साथ ही जानें कैसे करें इन्हें शांत…
किसी भी कुंडली के दूसरे घर को लाभ स्थान और नवां घर भाग्य और दसवें भाव में कर्म भाव होता है। ऐसे में शनि दूसरे और दसवें भाव के स्वामी और नौवे भाग्य के स्वामी गुरु बृहस्पति है। कहा जाता है कि जब आपका भाग्य अच्छा होगा, तो कर्म अच्छे होंगे, जिससे आपको लाभ मिलेगा। ऐसे में ये हम कह सकते हैं कि शनि के नियंत्रण में भाग्य भाव भी है।
इन लोगों में शनि देव का रहता है प्रकोप
- अगर आपकी कुंडली में शनि छठे, आठवें और बारहवें भाव में बैठे हैं। इसके साथ ही सर्वाष्टक वर्ग में चार से कम बिंदु है, तो शनि बुरा असर देंगे।
- शनि अगर अपनी नीच राशि में बैठे हैं, तो इसका असर बुरा पड़ेगा।
- शनि अगर छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी ग्रहों के साथ बैठें, तो भी वह बुरा असर आप पर डालेंगे।
- शनि राहु, केतु और सूर्य, चंद्रमा के साथ बैठें है, तो बुरा रिजल्ट देंगे।
- अगर मंगल के साथ शनि है, तो जीवन में अस्थिरता रहेगी और किसी न किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है।
शनि दोष के लक्षण
- ज्योतिष में शनि को दुख के कारक माना जाता है। दुख आने का कारण धन हानि और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में शनि के बुरा प्रभाव होने के कारण पैसों की तंगी के साथ-साथ कोई न कोई बीमारी से ग्रसित रहेंगे।
- पैतृक संपत्ति में किसी न किसी प्रकार की समस्या होना।
- कोर्ट-कचहरी के मामलों में फंसा रहना
- कुंडली में शनि बुरा होने से शारीरिक स्वास्थ्य जैसे पेट, घुटने का रोग, एसिडिटी आदि की समस्या और मानसिक स्वास्थ्य की बात करें, तो मानसिक तनाव, अकेलापन, डिप्रेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- घर में अधिक चीटियां निकलना।
- घर में अधिक सीलन या फिर दरार पड़ जाना भी शनि दोष का कारक माना जाता है।
शनि को कैसे करें शांत?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि अगर आपकी कुंडली में सही स्थिति में नहीं है, तो आप कुछ उपाय अपना सकते हैं। इससे आपके ऊपर शनि प्रसन्न होंगे और शनि के दोषों से भी मुक्ति मिलेगी। इसके लिए आप कोले घोड़े की नाल, छाया दान कर सकते हैं।
- अगर आपके घर में बार-बार चीटियां आना, सीलन या फिर दरार पड़ जाना शनि के खराब होने का संकेत है। ऐसे में इस घोड़े के नाल को प्रवेश द्वार में लगा दें। इससे लाभ मिलेगा।
- घर में कोई न कोई बीमार बना रहता है, तो घोड़े की नाल को बेड में पैर के नीचे रख दें।
- अगर घर का कोई न कोई सदस्य बार-बार बीमार रहता है, तो इसके लिए एक कढ़ाई या कटोरे में सरसों का तेल डालें और इसमें घोड़े की नाल का छल्ला डाल दें। फिर इसमें अपना चेहरा देख लें। बाद में छल्ला निकालकर इस सरसों के तेल का दान कर दें या फिर किसी पेड़ के नीचे रख दें।
- नौकरी में किसी न किसी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो काले घोड़े की नाल से छल्ला बनाकर बीच की अंगुली में पहन लें। इससे आपको लाभ मिलेगा।
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।