मध्य प्रदेश के इंदौर के जूनी में शनिदेव का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर शनिदेव खुद ही प्रकट हुए थे। इस मंदिर की गिनती भारत के चमत्कारी मंदिरों में होती है। बताते हैं कि लगभग 300 साल पहले मंदिर के स्थान पर एक 20 फुट ऊंचा टीला हुआ करता था। कहते हैं कि इस टीले के पास उस वक्त पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे। पंडित जी को सपने में शनिदेव ने दर्शन दिया। और उनसे कहा कि इस टीले के अंदर मेरी (शनिदेव) की प्रतिमा दबी हुई है। कहते हैं कि शनिदेव का पंडित जी को आदेश था कि इस प्रतिमा को बाहर निकाला जाए। हालांकि दृष्टिहीन होने कारण पंडित जी ने शनिदेव से इस कार्य के लिए असमर्थता जताई। इस पर शनिदेव ने पंडित जी की आंखें ठीक कर दी।
कहते हैं कि पंडित गोपालदास को सुबह होते ही सब कुछ साफ-साफ दिखाई देने लगा। इसके बाद उन्होंने अपने सपने के बारे में गांव वालों को बताया। इसके बाद गांव वालों के साथ मिलकर पंडित जी उस टीले की खुदाई करने लगे। गांव वालों ने पूरा टीला खोद डाला और अंत में उन्हें शनिदेव की प्रतिमा दबी हुई मिली। इसके बाद इस प्रतिमा को टीले से बाहर निकाला गया और उसकी सफाई की गई। कहते हैं कि गांव वालों ने शनिदेव की इस प्रतिमा को बड़ी ही श्रद्धाभाव के साथ मंदिर में स्थापित कर दिया।
ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव की वही प्रतिमा आज भी इस मंदिर में स्थापित है। मंदिर में शनिदेव की पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर से भक्तों का आगमन होता है। शनि जयंती के अवसर पर जूनी के इस मंदिर का नजारा देखते ही बनता है। मंदिर में भक्तों की भारी भींड़ लगती है। इसके साथ ही देश के जाने-माने गायकों और संगीतकारों द्वारा यहां पर प्रस्तुति दी जाती है। इस मौके पर शनिदेव मंदिर का संपूर्ण वातावरण ही मनोहर हो जाता है।