Ten Mukhi Rudraksh: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है और रुद्राक्ष का संबंध भोलेनाथ से माना जाता है। मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भोलेनाथ के आंसुओं से हुई है और इसका प्रमाण शिव पुराण आदि ग्रंथों में मिलता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में 16 मुखी रुद्राक्ष का वर्णन मिलता है। जिसमें से कुछ रुद्राक्ष लुप्त हो चुके हैं। हम यहाें बात करने जा रहे हैं 10 मुखी रुद्राक्ष के बारे में। मान्यता है कि 10 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। साथ ही शनि देव की कृपा बनी रहती है। साथ ही करियर और व्यापार में तरक्की मिल सकती है। आइए जानते हैं दस मुखी रुद्राक्ष के बारे में…
कैसा होता है रुद्राक्ष
सबसे अच्छा रुद्राक्ष इंडोनेशिया और नेपाल कंट्री का आता है। हालांकि भारत में भी कई पहाड़ी इलाकों में एक विशेष ऊंचाई पर यह पेड़ पाया जाता है। वहीं रुद्राक्ष का पेड़ होता है और यह पेड़ पर फल के रूप में आता है। रुद्राक्ष जितनी धारियों में बंटा होता है। वह उतने मुखी रुद्राक्ष कहलाता है।
दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ (Benefits Of Rudraksha)
वैदिक ज्योतिष अनुसार दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। साथ ही दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से इनकम के नए सोर्स बनते हैं। वहीं दस मुखी रुद्राक्ष का संबंध शनि ग्रह से माना जाता है। इसलिए जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही हो या कुंंडली में शनि ग्रह निगेटिव विराजमान हों वो लोग भी दस मुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं। साथ ही दस मुखी रुद्राक्ष को धारण से व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है। साथ ही डिसीजन लेने की क्षमता का विकास होता है।
रुद्राक्ष धारण करने की सही विधि (Method of Wearing Rudraksh)
रुद्राक्ष को सोमवार, महाशिवरात्रि, मास की शिवरात्रि और सावन के महीने मेंं धारण करना चाहिए। वहीं रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसका शुद्धिकरण करना चाहिए। जिसके लिए एक चांदी या तांबे की कटोरी में दूध, दही, शहद, घी, एवं शक्कर लेकर के मिला लें। फिर इस मिश्रण में रुद्राक्ष को डुबो दें। इसके बाद ऊं नम: शिवाय का 108 बार जाप करें और फिर शिवलिंग से स्पर्श कराकर रुद्राक्ष को गले में धारण कर लें। ऐसा करने से आपको रुद्राक्ष का पूर्ण फल आपको प्राप्त होगा।