Sawan Somvar Puja Vidhi, Vrat Katha, Samagri: सावन का चौथा सोमवार 27 जुलाई को है। सावन सोमवार व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ये व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। व्रत रखने वालों को इस दिन विधि विधान पूजा कर सोमवार व्रत कथा भी जरूर सुननी चाहिए। व्रती को एक समय भोजन करना चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख शांति का वास होता है।
पूजा विधि: व्रत वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। घर की साफ सफाई कर स्नान कर लें। फिर घर के पूजा स्थल पर शिव भगवान की मूर्ति के समक्ष व्रत करने का संकल्प लें- ‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये’। इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-
‘ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का षोडशोपचार पूजन करें। इसके बाद शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग का अभिषेक करें। पूजा के समय ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करें। संभव हो, तो मंदिर परिसर में ही शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ करें। अगर ऐसा न कर पाएं तो केवल घर पर रहकर ही पूजा कर सकते हैं। व्रत पूजन के बाद व्रत कथा जरूर सुनें। अंत में आरती कर शिव को भोग लगाएं और प्रसाद सभी में वितरित कर दें। इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।
सावन सोमवार व्रत कथा पढ़ें यहां
शिव के मंत्र:
– ओम त्र्यंबकम याजमाहे सुगंधिम पुष्ठी वर्धनम
उर्वारुकैमिवा बंधनाथ श्रीमती सुब्रमण्यम
– करारचंद्रम वैका कायाजम कर्मगम वी
श्रवणनजम वा मनामम वैद परामहम
विहितम विहिताम वीए सर मेट मेटाट
क्षासव जे जे करुणाबधे श्री महादेव शंभो
– ओम नमः शिवाय
– ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
Horoscope Today, 27 July 2020: सावन का चौथा सोमवार किन राशि वालों के लिए होने वाला है खास, जानिए
ऐसी मान्यता है कि सावन व्रत रखने वालों को बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों और केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। शिवलिंग को कभी हल्दी और कुमकुम नहीं लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग का नारियल के पानी से अभिषेक भी नहीं करना चाहिए। हालांकि भगवान शिव की प्रतिमा पर नारियल का फल अर्पित करना शुभ होता है। शिवलिंग का अभिषेक करते समय कास्य और पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है।
आज की भद्रा: प्रात: 07:10 बजे से शाम 06:04 बजे तक।
आज का राहुकाल: प्रात: 07:30 बजे से 09:00 बजे तक।
सावन महीने इस बार सोमवार से शुरू हुआ था और इसकी समाप्ति भी सोमवार के दिन यानी 3 अगस्त को होने जा रही है। इस दिन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन भी मनाया जाएगा।
सावन के सोमवार को शिव जी के नीलकंठ स्वरूप की उपासना करने के लिए, शिव लिंग पर गन्ने का रस की धारा चढ़ाएं। इसके बाद नीलकंठ स्वरूप के मंत्र- "ॐ नमो नीलकंठाय" का जाप करें।
सावन के चौथे सोमवार को वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। सावन के चौथे सोमवार को बाबा विश्वनाथ का रुद्राक्ष श्रृंगार किया गया। मंदिर परिसर को भी रुद्राक्ष से सजाया गया।
सावन में सोमवार को पानी में दूध और काले तिल डालकर भगवान शिव का अभिषेक करने से शारीरिक बीमारियां दूर होती हैं।
मान्यता है कि सावन सोमवार का व्रत करने से चंद्रग्रह मजबूत होता है। अविवाहित लड़कियों के लिए भी यह व्रत बहुत लाभदायी माना गया है। मान्यता है कि 16 सोमवार विधि पूर्वत भगवान शिव का व्रत करने से लड़कियों को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। पुराणों में बताया गया है कि सच्चे मन से सावन सोमवार में शिवजी की पूजा करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है।
सावन सोमवार के दिन अनैतिक कार्य करने से बचें। सावन में भगवान शिव की पूजा में कम से कम बेलपत्र और धतूरा जरूर रखें। बैंगन खाने से बचें क्योंकि शास्त्रों में बैंगन को अशुद्ध बताया गया है। मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए।
अनादि शंकर ने अपने शरीर पर कई तरह की चीजें धारण की हुई हैं। जैसे माथे पर मां गंगा, हाथ में डमरु, गले में सांप, त्रिशूल, तीसरी आंख, रुद्राक्ष, बाघ की खाल और चंद्रमा इत्यादि। भोलेनाथ के इन सभी प्रतीकों को धारण करने के पीछे कुछ न कुछ रहस्य छिपा हुआ है। यहां जानिए इन प्रतीकों का क्या महत्व है।
भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने के पीछे कई मान्यताएं हैं। एक कथा के अनुसार भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू-लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है।
पौराणिक कथाओं अनुसार इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी। लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया। इसी से उनका नाम 'नीलकंठ महादेव' पड़ा। विष के प्रभाव को कम करने के लिए ही सभी देवी-देवताओं ने शिव को जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व माना जाता है।
– ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
– ऊँ नम: शिवाय।।
- ओम साधो जातये नम:।।
- ओम वाम देवाय नम:।।
- ओम अघोराय नम:।।
- ओम तत्पुरूषाय नम:।।
Horoscope Today (आज का राशिफल) 27 July 2020: मेष: रक्तचाप के मरीज़ों को ख़ास ख़याल रखने और दवा-दारू करने की ज़रूरत है। साथ ही उन्हें कॉलेस्ट्रोल को क़ाबू में रखने की कोशिश भी करनी चाहिए। ऐसा करना आगे काफ़ी लाभदायक सिद्ध होगा। अपने ख़र्चों पर क़ाबू रखें और आज हाथ खोलकर व्यय करने से बचें। दोस्तों का सहयोग मिलेगा, लेकिन जीवन-साथी के साथ किसी छोटी-सी बात पर अनबन घर की शान्ति को भंग कर सकती है। अपने प्रिय के लिए बदले की भावना से कुछ हासिल नहीं होगा- बजाय इसके आपको दिमाग़ शांत रखना चाहिए और अपने प्रिय को अपनी सच्चे जज़्बात से परिचित कराना चाहिए। आज कार्यालय में आपको कुछ अच्छा समाचार सुनने को मिल सकता है। अचानक यात्रा के कारण आप आपाधापी और तनाव का शिकार हो सकते हैं। आज आपका वैवाहिक जीवन थोड़े मुश्किल दौर से गुज़रता हुआ मालूम हो सकता है। ग़ज़ब का दिन है – फ़िल्म, पार्टी और दोस्तों के साथ घूमना-फिरना मुमकिन है। सभी राशियों का राशिफल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सावन महीने इस बार सोमवार से शुरू हुआ था और इसकी समाप्ति भी सोमवार के दिन यानी 3 अगस्त को होने जा रही है। इस दिन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन भी मनाया जाएगा।
मान्यतानुसार शिवलिंग पर तुलसी के पत्तों को चढ़ाना निषेध माना गया है। इसके अलावा खंडित यानी टूटे हुए चावल, कुमकुम, हल्दी, नारियल, तिल और शंख से जल भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
रुद्राभिषेक से होने वाले लाभ: जीवन में सुख और शांति चाहते हैं तो जल से रुद्राभिषेक करें। रोग और दुःख से छुटकारा चाहते हैं तो कुशा जल से अभिषेक करना चाहिए। मकान, वाहन या पशु आदि की इच्छा है तो दही से अभिषेक करें। लक्ष्मी प्राप्ति और कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें। धन में वृद्धि के लिए जल में शहद डालकर अभिषेक करें। मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ से लाये गये जल से अभिषेक करें। बीमारी को नष्ट करने के लिए जल में इत्र मिला कर अभिषेक करें। मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए गाय के दुग्ध से अभिषेक करें। ज्वर ठीक करने के लिए गंगाजल से अभिषेक करें। वंश वृद्धि के लिए घी से अभिषेक करना चाहिए। शत्रु नाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें। पापों से मुक्ति चाहते हैं तो शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करें।
ऐसी मान्यता है कि सावन व्रत रखने वालों को बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों और केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। शिवलिंग को कभी हल्दी और कुमकुम नहीं लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग का नारियल के पानी से अभिषेक भी नहीं करना चाहिए। हालांकि भगवान शिव की प्रतिमा पर नारियल का फल अर्पित करना शुभ होता है। शिवलिंग का अभिषेक करते समय कास्य और पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है।
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
आज की भद्रा: प्रात: 07:10 बजे से शाम 06:04 बजे तक।
आज का राहुकाल: प्रात: 07:30 बजे से 09:00 बजे तक।
रुद्र का अभिषेक करने से सभी देवों का भी अभिषेक करने का फल उसी क्षण मिल जाता है। रुद्राभिषेक में सृष्टि की समस्त मनोकामनायें पूर्ण करने की शक्ति है अतः अपनी आवश्यकता अनुसार अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक करके प्राणी इच्छित फल प्राप्त कर सकता है। इनमें दूध से पुत्र प्राप्ति, गन्ने के रस से यश उत्तम पति/पत्नी की प्राप्ति, शहद से कर्ज मुक्ति, कुश एवं जल से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी तथा तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सावन मास में सोमवार के दिन शिवजी की पूजा का विशेष लाभ मिलता है। इस दिन पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं। वहीं जिन लोगों की राशि पर अशुभ ग्रह की छाया या दृष्टि होती है उसे भी दूर करने में मदद मिलती है।
जल में गंगाजल मिलाकर भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें। अब उनको गाय का दूध, सफेद फूल, अक्षत्, पंचामृत, सुपारी भांग, धतूरा, बेल पत्र, सफेद चंदन आदि सादर पूवर्क चढ़ाएं। राम नाम लिखे 12 बेल पत्र भोलेनाथ को चढ़ाना कल्याणकारी माना जाता है। पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित कर दें। इसके पश्चात माता पार्वती को फल, फूल, सिंदूर, अक्षत् एवं सुहाग की सामग्री अर्पित करें। दोनों की पूजा के बाद भगवान कार्तिकेय और गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद शिव परिवार को दीपक अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करने के बाद शिव जी की आरती करें।
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस दिन जलाभिषेक करना भी विशेष रूप से फलदायी बताया गया है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। अमावस्या को महिलाएं तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं। कई जगह अमावस्या पर पितर देवताओं की पूजा और श्राद्ध करने की भी परंपरा है।
जो बेलपत्र भोलेनाथ को चढ़ाया जाता है उसमें छेद नहीं होने चाहिए। शिवलिंग पर तीन पत्ते वाले बेलपत्र चढ़ाने चाहिए जो कोमल और अखण्ड हों। बेलपत्र पर किसी भी तरह का वज्र या चक्र का निशान नहीं होना चाहिए। बता दें कि पत्ते में सफेद दाग चक्र और डंठल में गांठ वज्र कहलाता है। हमेशा शिवलिंग पर बेलपत्र को उल्टा ही चढ़ाना चाहिए।
उबले हुए दूध से शिवलिंग का अभिषेक ना करें। शिवलिंग का अभिषेक सदैव ठंडे जल और कच्चे दूध से करना चाहिए।
इस दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान करें. स्नान के बाद पूजा आरंभ करें. इस दिन तांबे का पात्र लेकर उसमें कुछ चावल, दूध, शहद, दही, फूल, बेल पत्री, गंगाजल आदि मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. अभिषेक के दौरान शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस दिन दान आदि भी कर सकते हैं.
हिन्दुओं के लिए सावन के महीने का विशेष महत्व हैं और इन दिनों मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है। सावन महीने के हर सोमवार को व्रत रखने का प्रावधान है। माना जाता है कि इस दौरान महादेव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है, इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ता है। अगर ऐसा आप करती हैं तो इससे आपका चंद्रमा कमजोर होने लगता है और चंद्रमा कमजोर होने से आपका मन चंचल हो जाएगा आप किसी एक चीज में मन लगाकर काम नहीं कर पाएंगे।
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रान्ति और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ने चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए आप एक दिन पहले बेलपत्र तोड़कर रख सकते हैं।
सावन के सोमवार के दिन भगवान शिव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और पीतल के लोटे से दूध अर्पित करें। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूरा करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ की आराधना करते वक्त शिवलिंग पर कुमकुम नहीं लगाना चाहिए। दरअसल, सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए कुमकुम लगाती हैं। जबकि भगवान शिव को संहारक के रूप में जाना जाता है। इसीलिए कुमकुम नहीं लगाने की मान्यता है।
सोमवार का व्रत रखने वाले जब भगवान शिव की पूजा कर लें तभी भोजन करें। वह भी सिर्फ एक बार ही भोजन करना चाहिए। सावन के व्रत करने से व्यक्ति को दुखों से मुक्ति मिलती है और सुख की प्राप्ति होती है। सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से शुरु होकर सूर्यास्त तक किया जाता है।
सोमवार के व्रत में भगवान शिव के साथ गणेश जी, देवी पार्वती व नन्दी देव एवं नागदेव मूषक राज की भी पूजा की जाती है। पूजा के लिए जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल,गट्ठा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा के साथ दक्षिणा चढ़ाना ना भूलें। इसके बाद धूप दीया जलाकर कपूर से आरती करें।
सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस माह में प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। श्रावण मास के विषय में प्रसिद्ध एक पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने के सोमवार का जो व्रत करता है उसकी सभी इछाएं पूर्ण होती है।
भक्त शिव को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से सोमवार का व्रत रखें। इस व्रत में सुबह स्नान वगैरह के बाद भोलेनाथ की फल-फूल, दूध और जलाभिषेक से पूजा अर्चना करें। पूरा दिन उपवास करने के बाद ही शाम को आहार ग्रहण करें...
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने सावन के पूरे महीने उपवास किया। कहते हैं कि पार्वती की इतनी भक्तिभावना देखकर भोले भंडारी प्रसन्न हो गए थे और शिव ने उनकी इच्छा पूरी की।
ॐ नमः शिवाय॥
नम: शिवाय॥
ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय॥
ॐ पार्वतीपतये नम:॥
ॐ पशुपतये नम:॥
ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ ॥
सावन में किसी सोमवार को पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करें। अभिषेक करते समय ऊं जूं स: मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें। मान्यता है कि इस उपाय से बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।
रुद्र का अभिषेक करने से सभी देवों का भी अभिषेक करने का फल उसी क्षण मिल जाता है। रुद्राभिषेक में सृष्टि की समस्त मनोकामनायें पूर्ण करने की शक्ति है अतः अपनी आवश्यकता अनुसार अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक करके प्राणी इच्छित फल प्राप्त कर सकता है। इनमें दूध से पुत्र प्राप्ति, गन्ने के रस से यश उत्तम पति/पत्नी की प्राप्ति, शहद से कर्ज मुक्ति, कुश एवं जल से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी तथा तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत के दौरान शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। प्रतिदिन 6-8 गिलास पानी जरूर पीएं। डाइट में ऐसे फल शामिल करें, जिसमें पानी की मात्रा अधिक हो जैसे- अंगूर, लीची, संतरा, मौसमी आदि। पेट खाली रहने से एसिडिटी बढ़ सकती है, लिहाजा थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुछ न कुछ फलाहार करते रहें। ड्राई फ्रूट्स खा सकते हैं, इससे जरूरी एनर्जी मिलेगी और कमजोरी नहीं महसूस होगी।