Sawan somvar vrat: सावन का महीना (श्रावण माह) 17 जुलाई से शुरु हो चुका है और आज सावन (sawan month) का पहला सोमवार है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। और जब बात सावन के सोमवार (sawan ka pehla somwar) की आती है तो इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। क्योंकि सावन महीना भी भगवान शिव का प्रिय है। इन दिनों लोग भगवान शिव की अराधना करते हैं। कावड़ यात्रा पर निकलते हैं। सोमवार व्रत रखे जाते हैं। शिव के 16 सोमवार व्रत को धार्मिक दृष्टि से काफी प्रभावशाली माना जाता है। लेकिन सावन के सोमवार का इन 16 सोमवार के व्रत रखने से कई गुना ज्यादा प्रभाव बताया गया है।
कहा जाता है कि सावन के सोमवार व्रत करने से भगवान शिव अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी कर देते हैं। खासकर जिन जातकों को विवाह संबंधी अड़चनें आ रही हैं उनके लिए यह व्रत रखना काफी उत्तम माना गया है। इस दिन विधि विधान पूजा की जाती है। भगवान शिव के मंदिरों में सावन सोमवार वाले दिन भक्तों का तांता लगा रहता है क्योंकि व्रत वाले दिन मंदिर दर्शन कर शिवलिंग पर जल चढ़ाना महत्वपूर्ण माना गया है। तो यहां जानिए सावन सोमवार से संबंधित सारी जानकारी…


देखिए कि 22 जुलाई के पहले सोमवार को तो कृष्ण पक्ष की पंचमी है। इसके अलावा दूसरा शुभ संयोग 5 अगस्त को भी पड़ रहा है। उस दिन शुक्ल पक्ष की पंचमी है और उस दिन भी नाग पंचमी देश के कई हिस्सों में मनाया जाएगा। 22 जुलाई को भी बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान आदि कई प्रांतों में नागपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा।
सोमवार को कृष्ण पक्ष की पंचमी है, ज्योतिष और पुराणों के ज्ञाता बताते हैं कि भविष्य पुराण में इसको नागपंचमी तिथि के रूप में माना गया है। सावन सोमवार पर शिव की पूजा के साथ नागों की पूजा भी होगी क्योंकि नागपंचमी तिथि पड़ रही है। यह अद्भुत और दिव्य संयोग दुर्लभ माना गया है क्योंकि 125 सालों बाद ऐसा हो रहा है।
– एकाक्षरी महामृत्युंजय मंत्र- ‘हौं’। अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है। – त्रयक्षरी महामृत्युंजय मंत्र- ‘ऊं जूं स:’ छोटी-छोटी बीमारियां से परेशान लोग इस मंत्र का जाप कर सकते है। – चतुराक्षी महामृत्युंजय मंत्र- ‘ऊं हौं जूं स:’ सर्जरी और दुर्घटना जैसी संभावनाएं हो तो इस मंत्र का जाप करना चाहिए। – दशाक्षरी महामृत्युंजय महामंत्र- ‘ऊं जूं स: माम पालय पालय’ इसे अमृत मृत्युंजय मंत्र कहा गया है। जिस व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो उसके लिए तांबे के बर्तन में जल भरकर इस मंत्र का जाप उस व्यक्ति का नाम इसमें जोड़कर उसके सामने करें। फिर यह जल उसे पिलाएं इससे उसका स्वास्थ्य ठीक हो जायेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवों के देव महादेव श्रावण मास में अपनी ससुराल दक्षनगरी कनखल में विराजते हैं। इसी कारण हरिद्वार में सावन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। दक्षेश्र्वर महादेव मंदिर में भी सावन के पहले सोमवार पर जलाभिषेक को विशेष तैयारियां की गई हैं। दूसरी तरफ हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड से कांवड़ यात्री जल भरकर वापस लौट रहे हैं।
पौड़ी जिले के यमकेश्र्वर प्रखंड में मणिकूट पर्वत की तलहटी पर नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। सावन महीने की कावड़ यात्रा में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस साल भीकावड़ यात्रा को लेकर यहां विशेष तैयारियां की गई हैं। मंदिर समिति को सोमवार के जलाभिषेक के लिए यहां करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। जिसके लिए सुरक्षा के इंतजाम भी किए गए हैं।
समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊंचाई पर स्थित बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए हर कोई लालायित रहता है। अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले कम ही श्रद्धालुओं को सावन के पहले सोमवार में दर्शन का सौभाग्य मिलता है। इस दिन अमरनाथ की पवित्र गुफा में विशेष पूजा की जाती है। अमरनाथ पर गए हर एक व्यक्ति का यही प्रयास रहता है कि सावन के पहले सोमवार को बाबा बर्फानी के दर्शन हो जाएं। आज अमरनाथ यात्रा में मौसम अनुकूल रहने की संभावना है। जिस कारण भगवान के दर्शन करने में कोई कठिनाई नहीं आयेगी।
दिल्ली के गौरी शंकर मंदिर में सावन के पहले सोमवार के दिन भक्तजनों की भीड़ नजर आई। शिवभक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए लाइन में लगे हैं। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आए हैं।
सावन के सोमवार व्रत का पूजन भी बाकी सोमवार की तरह ही किया जाता है। जो जातक 16 सोमवार के व्रत शुरु करने की सोच रहे हैं तो उनके लिए ये व्रत शुरु करने का अच्छा समय चल रहा है। माना जाता है कि सावन के सोमवार से 16 सोमवार व्रत शुरु करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। और भगवान शिव अपने भक्त की जल्द ही सुन लेते हैं।
इन मंत्रों के जाप से रोग दूर होने की है मान्यता… ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!
– ॐ शिवाय नम:, ॐ सर्वात्मने नम:, ॐ त्रिनेत्राय नम:,ॐ हराय नम:, ॐ इन्द्रमुखाय नम:, ॐ श्रीकंठाय नम:, ॐ वामदेवाय नम:, ॐ तत्पुरुषाय नम:, ॐ ईशानाय नम:, ॐ अनंतधर्माय नम:
दूध का रंग बदलने के पीछे ये मान्यता है कि जो व्यक्ति केतु ग्रह के दोष से पीड़ित होते हैं केवल उनके द्वारा चढ़ाया गया दूध ही अपना रंग बदलता है। लोगों के बीच ऐसा प्रचलित है कि यहां आकर पूजा अर्चना करने से कुंडली में राहु-केतु से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं।
ज्योतिषशास्त्र अनुसार कुल नौ ग्रह बताए गए हैं और प्रत्येक ग्रह किसी ना किसी देवी-देवता से संबंधित है। केरल के कीजापेरुमपल्लम गांव में कावेरी नदी के तट पर स्थित है नागनाथस्वामी मंदिर जिसे केति स्थल के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर केतु ग्रह को समर्पित है, लेकिन इस मंदिर के मुख्य देव महादेव है। शिव का एक नाम नागनाथ भी है, इसलिए इस मंदिर को नागनाथस्वामी के नाम से जाना जाता है। नागनाथस्वामी मंदिर में राहु देवता की प्रतिमा भी स्थापित है जिस पर दूध चढ़ाया जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर जब दूध से केतु की मूर्ति का अभिषेक किया जाता है तब दूध का रंग बदलकर नीला हो जाता है।
देश-विदेश के कोने-कोने से देवघर, झारखंड में बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने के लिए लाखों शिवभक्त जुट गए हैं। उम्मीद की जा रही है कि आज सवा लाख से अधिक भक्तों को बाबा की पूजा-अर्चना करने का सौभाग्य प्राप्त होगा...
पवित्र श्रावण मास का आज पहला सोमवार है। पूरा देश शिवमय हो चला है। चारों तरफ बम बम भोले के जयकारे सुनाई दे रहे हैं। शिव के प्रमुख मंदिरों पर रविवार को ही देश-दुनिया से भक्तों का आना प्रारंभ हो गया था। अमरनाथ, केदारनाथ, नीलकंठ महादेव, काशी विश्वनाथ, बाबा बैद्यनाथ, महाकाल और ओंकारेश्वर सहित देशभर के सभी शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ा है।
सावन महीने का आज पहला सोमवार है. पूरा देश शिवमय हो चला है. इस दौरान मंदिरों में भक्तों का जुटना प्रारंभ हो गया है. सावन महीने के पहले सोमवार को कानपुर के आनंदेश्वर शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त जुटे हैं.
सावन के सोमवार को शहर के विभिन्न शिव मंदिरों में कांवडिये ब्रजघाट और हरिद्वार से कांवड़ लाकर जलाभिषेक करते हैं। इस बार भी जिले से सावन के पहले सोमवार पर जलाभिषेक के लिए जल लाने के लिए हरिद्वार और ब्रजघाट आदि स्थानों पर कांवड़ियों के कुछ जत्थे गए हैं।
पहली बार बाबा काशी विश्वानाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का गर्भगृह में प्रवेश रोका गया है और झांकी दर्शन की व्यवस्था की गई है, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
सावन के पहले सोमवार में काशी नगरी शिवमय हो गई है। पूर्वांचल ही नहीं बल्कि देश और विदेश के कोने-कोने से शिवभक्त बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए जुट गए हैं। माना जा रहा है कि आज 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं।
श्रावण में भक्त भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन के लिए भी जाते हैं। वैसे तो पूरे सावन शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन जब बात सावन सोमवार की हो तो शिव के भक्तो की तादाद और भी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में श्रावण के पहले सोमवार पर हजारों की तादात में श्रद्धालु विश्व प्रसिद्ध उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी थी कि देर रात 12 बजे से ही महाकाल के दर्शन के लिए भक्तों की लाईन लगना शुरू हो गई थी।
सुबह ढाई बजे महाकालेश्वर के गर्भगृह के पट खोलने के बाद, श्रद्धालुओं ने महाकाल को जल चढ़ाया। पंडे-पुजारियों ने दुध, दही, पंचामृत, दृव्य प्रदार्थ, फलों के रस से महाकाल का अभिषेक किया। महानिर्वाणी अखाड़े के प्रतिनिधि द्वारा महाकालेश्वर की भस्म आरती की गई, उसके बाद महाकालेश्वर का श्रंगार किया गया।
सावन के महीने में श्रद्धालुओं का भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में तांता लगा रहता है। सोमवार पर आज 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।सोमवार लगभग सुबह तीन बजे भगवान महाकालेश्वर का दूध-दही से अभिषेक किया गया, जिसके बाद विधि-विधान से महाकाल की भस्म आरती की गई। खास बात है कि आज डेढ़ घंटे पहले ही महाकाल की आरती कर दी गई।