Sawan Shivratri 2025 Shivling Puja: हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है, क्योकि इस माह में शिव जी की पूजा करने से वह अवश्य प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। बता दें कि इस साल सावन माह 11 जुलाई से आरंभ हो रहा है। इस बार कुल 4 सावन सोमवार पड़ेंगे। इस दौरान भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ शिवलिंग में जल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, फूल आदि चढ़ाएं। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। सावन में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन शिवलिंग में जल चढ़ाने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है।

बता दें कि इस साल सावन शिवरात्रि 23 जुलाई को है। शिवपुराण के अनुसार, सावन या शिवरात्रि के दौरान भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के बाद शिवलिंग में जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। शिवलिंग में जल मात्र चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। शिवलिंग में जल चढ़ाने की सही विधि क्या है? इसके बारे में काफी हद तक जानते हैं। लेकिन क्या आप जानती है कि शिवलिंग में जल चढ़ाने के बाद इन 3 स्थानों को छूने से हर एक समस्या से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं महिलाओं को शिवलिंग के किन 3 स्थान को अवश्य छूना चाहिए। इन स्थानों को छूने के साथ अपनी कामना करने से वह अवश्य पूरी हो सकती है…

शिवलिंग में जल चढ़ाते समय आप तो नहीं कर रहे ये गलती, जानें सावन माह में जलाभिषेक करने का सही तरीका

सावन शिवरात्रि का तिथि और शुभ योग (Sawan Shivratri 2025 Date And Shubh Yog)

श्रावण कृष्ण चतुर्दशी तिथि का आरंभ- 23 जुलाई को सुबह 4:39 से
श्रावण कृष्ण चतुर्दशी तिथि का समापन: 24 जुलाई को सुबह 2:28 पर
सावन शिवरात्रि निशिता मुहूर्त: 23 जुलाई को देर रात 12:07 से 12:48 तक
व्याघात योग: प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजरक 34 मिनट तक
आर्द्रा नक्षत्र: प्रात:काल से लेकर शाम 5 बजकर 54 मिनट तक

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सावन शिवरात्रि पर जल चढ़ाने का मुहूर्त (Sawan Shivratri 2025 Jal Chadane Ka Muhurat)

इस साल 23 जुलाई को सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने का समय ब्रह्म मुहूर्त से ही आरंभ हो जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त 4:15 से 4:56 तक रहेगा।

महिलाएं शिवलिंग में जल चढ़ाने के बाद इन 3 जगहों को करें स्पर्श

पहला स्थान- जलाधारी

शिवपुराण के अनुसार, महिलाओं को शिवलिंग का वह स्थान अपने हस्त कमल से अवश्य छिना चाहिए, जलाधारी में जल जहां से नीचे गिरता है। इस स्थान को छूना शुभ होता है।

दूसरा स्थान- माता पार्वती का हस्त कमल

शिवलिंग के लिंग के चारों ओर के स्थान में मां पार्वती का वास होता है। इसे मां पार्वती का हस्त कमल कहते हैं। महिलाओं को जल चढ़ाने के साथ-साथ मां पार्वती के हस्त कमल को अवश्य छूना चाहिए।

तीसरा स्थान-जलाधारी के विपरीत भाग

शिवपुराण के अनुसार, महिलाओं को शिवलिंग के इस स्थान को भी छूना चाहिए। शिवलिंग पर जहां पर जलाधारी है और उसके विपरीत स्थान यानी शिवलिंग के पीछे वाले स्थान को अवश्य छूना चाहिए।

शिवलिंग पर भगवान शिव का परिवार है विराजित

बता दें कि शिवलिंग में सिर्फ शिव ही नहीं बल्कि उनका पूरा परिवार विराजित है। बता दें कि शिवलिंग के जलाधारी के दाएं ओर गणेश, बाएं ओर कार्तिकेय, जलधारी के बीच में शिवजी की पुत्री अशोक सुंदरी और जलाधारी के गोलाकार हिस्सा में मां पार्वती का हस्त कमल हैं और अंत में लिंग में भगवान शिव विराजित है।

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