Sawan Sankashti Chaturthi 2023: आज भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है। सावन मास में पड़ने के कारण इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। श्रावण मास की संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। सावन महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को गजानन संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को हर संकट से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं सावन संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती।
सावन संकष्टी चतुर्थी 2023 तिथि
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आरंभ- 06 जुलाई, गुरुवार की सुबह 10 बजकर 08 मिनट से
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त- 7 जुलाई को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर
सावन संकष्टी चतुर्थी 2023 पर चंद्रोदय का समय
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है। 6 जुलाई को रात 10 बजकर 12 मिनट पर चंद्रोदय का समय है।
गजानन संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त
गणेश पूजा का मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 26 मिनट से सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक
उत्तम पूजा मुहूर्त- सुबह 07 बजकर 11 मिनट से सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक
गजानन संकष्टी चतुर्थी पर पंचक और भद्रा का साया
सावन में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा का साया भी है। 6 जुलाई को भद्रा का सुबह 05 बजकर 29 मिनट से सुबह 06 बजकर 30 मिनट तक है। इसका वास पाताल लोक में है। इसलिए ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा चतुर्थी के दिन पंचक दोपहर 01 बजकर 38 मिनट से शुरू हो रहा है और यह 10 जुलाई को शाम 06 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो रहे हैं।
गजानन संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद गणेश जी का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें। सबसे पहले जल से आचमन करें। इसके बाद गणपति जी को फूल, माला, 21 गांठ दूर्वा, सिंदूर आदि चढ़ाएं। इसके बाद भोग में मोदक, मोतीचूर के लड्डू या फिर अपने मनमुताबिक मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद जल अर्पित करके घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश चालीसा, व्रत कथा का पाठ करने के बाद आरती कर लें। अंत में भूलचूक के लिए माफी मांग लें।
शाम को चंद्रोदय के समय चंद्रदेव को अर्घ्य देने के साथ विधिवत पूजा करें और अपने व्रत को भी खोल लें।
गजानन संकष्टी चतुर्थी पर करें इन गणेश मंत्रों का जाप
- ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा
- ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्
- ॐ ऐं ह्वीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
श्री गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥