Sawan Purnima Vrat And Puja Vidhi: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा आती है। पूर्णिमा की तिथि को पुण्य और धार्मिक कार्यों के लिए बड़ा ही शुभ माना जाता है। कहते हैं कि पूर्णिमा पर धर्म के मार्ग पर चलने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मालूम हो कि इन सबमें श्रावण मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। श्रावण पूर्णिमा पर व्रत रखने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन एक खास विधि से पूजा-अर्चना भी की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस विधि का पालन करते हुए श्रावण पूर्णिमा पर पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है।
व्रत और पूजा विधि: श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने या बंधवाने की परंपरा है। इसके लिए लाल या पीले रंग के रेशमी वस्त्र में सरसों, अक्षत, रखकर उसे लाल धागे (मौली या कच्चा सूत) में बांध देना चाहिए। इसके बाद इसे पानी से भिगोकर तांबे के बर्तन में रख दें। भगवान विष्णु, भगवान शिव सहित अन्या देवी-देवताओं और कुलदेवताओं की पूजा करें। इसके बाद ब्राह्मण से अपने हाथ पर रक्षासूत्र बंधवाना चाहिए। अब ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देकर उन्हें विदा करना चाहिए।
इसके साथ ही श्रावण पूर्णिमा पर वेदों का अध्ययन करने की परंपरा चली आ रही है। इस पूर्णिमा को देव, ऋषि, पितर आदि के लिए तर्पण भी करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन स्नान करने के बाद गाय को चारा डालना, चिंटियों, मछलियों को आटा या दाना डालना शुभ माना गया है। कहा जाता है कि विधि पूर्णक पूर्णिमा व्रत का पालन करने से वर्ष भर वैदिक कर्म न करने की भूल भी माफ हो जाती है। यह मान्यता है कि वर्ष भर के व्रतों के समान फल एक श्रावण पूर्णिमा के व्रत से प्राप्त हो जाता है।
शुभ मुहूर्त: इस साल 26 अगस्त, दिन रविवार को श्रावण पूर्णिमा है।
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 15:16 बजे (25 अगस्त 2018)
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17:25 बजे (26 अगस्त 2018).