Sawan Somwar Vrat: शिव भक्तों के लिए सावन का महीना बेहद खास होता है, बताया जाता है कि ये माह महादेव को बेहद प्रिय होता है। साल 2021 में सावन का महीना 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त को समाप्त होगा। कहते हैं कि सावन माह के सोमवार को जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से भगवान शिव की आराधना करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आज यानी 16 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार पड़ेगा, जानें पूजा विधि और दूसरी जरूरी बातें –

पूजा विधि क्या है: सुबह जल्दी उठकर नित्यकार्यों से मुक्त हो जाएं और समय से नहा-धोकर साफ वस्त्र धारण कर लें। पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर साफ कर वेदी की स्थापना करें और व्रत का संकल्प लें। फिर शाम में शिव जी की पूजा करें। दीये में तिल का तेल डालकर जलाएं और भगवान को फूल चढ़ाएं। शिव चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करें, महादेव के मंत्रों का जाप करें।

जानें शुभ मुहूर्त: पंचांग के मुताबिक सावन का आखिरी सोमवार शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ रहा है। इस दिन वृश्चिक राशि में चंद्रमा रहेगा और अनुराधा नक्षत्र होगा। वहीं, सुबह साढ़े 7 से 09 बजकर 07 मिनट तक राहुकाल रहेगा, ऐसे में इस वक्त पूजा करने से बचें। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 20 मिनट तक और सुबह 9 बजकर 20 मिनट से लेकर पौने ग्यारह बजे तक रहेगा।

व्रत कथा यहां पढ़े: एक नगर में साहूकार था जो सभी सुख-सुविधाएं होने के बावजूद पुत्र सुख से वंचित था और इस मोह में हमेशा दुखी रहता था। सोमवार का व्रत करने वाले व्यापारी की इच्छा देवी पार्वती ने सुनी और शिवजी से उसे पूरा करने की विनती की। ये सुनकर भगवान शिव ने कहा कि ‘हे पार्वती, इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है।’

लेकिन पार्वती के बार-बार जिद करने पर महादेव ने व्यापारी को पुत्र-प्राप्ति का वरदान दिया। साथ ही कहा कि 12 वर्ष में बालक की मृत्यु हो जाएगी। 11 साल की उम्र में साहूकार ने बालक को पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया। साहुकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि रास्ते में यज्ञ कराते हुए जाना। उनकी बात मानते हुए दोनों एक नगर में पहुंचे जहां राजा की पुत्री की शादी थी।

जिस राजकुमार की शादी थी वो काना था, उसके पिता ने ये बात छुपाने के लिए साहूकार के पुत्र को दुल्हे की जगह बिठा दिया। हालांकि, मौका पाते ही उसने राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि ‘तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है। मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं।’ जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई। राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया जिससे बारात वापस चली गई।

भगवान शिव के कहे अनुसार बारह वर्ष की उम्र में बालक के प्राण पखेरू हो गए। मृत भांजे को देख उसके मामा रोने-बिलखने लगे, उसी वक्त शिवजी और पार्वती वहां से गुजर रहे थे और मामा का विलाप सुना। पार्वती ने भगवान से कहा- स्वामी, ये विलाप मेरे लिए असहनीय हो रहा है, आप उस प्राणी के दुख हर लें।

12 साल के उसी बालक को देखकर महादेव को पार्वती ने कहा कि अगर इसकी लंबी आयु न हुई तो इस वियोग में इसके माता-पिता भी चल बसेंगे। उनकी बात सुनकर शिवजी ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया। शिक्षा समाप्त होने के बाद वापसी में अपनी पत्नी के साथ बालक घर पहुंचा।