Sawan Ka Antim Somwar: शास्त्रों में सोमवार का विशेष महत्व होता है। आपको बता दें कि इस बार सावन में 4 सोमवार व्रत हैं। वहीं सावन के तीन सोमवार व्रत बीते चुके हैं और अंतिम सोमवार व्रत आज 4 अगस्त को है। सावन के सोमवार पर महादेव की विशेष आराधना की जाती है। मान्यता है जो इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर भोलेनाथ औ मां पार्वती की पूजा अर्चना करता है, उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।  सावन के अंतिम सोमवार पर 4 शुभ योग बन रहे हैं। साथ ही गुरु और शुक्र के संयोग से गजलक्ष्मी राजयोग का निर्माण हो रहा है। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। वहीं शिव वास भी बन रहा है। आइए जानते हैं जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त और आरती…

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जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग अनुसार शिवलिंग पर जल चढ़ाने का शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04:20 से 05:02  तक है। इस समय जलाभिषेक कर सकते हैं। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 12:54  तक है। राहुकाल में भी शिव जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन अमृत काल शाम 05:47 मिनट से लेकर शाम 07:34 मिनट तक रहेगा।

बन रहे हैं 4 शुभ योग 

सावन के अंतिम सोमवार पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह  05:43  से सुबह 09:11  तक रहेगा, वहीं रवि योग पूरे दिन है। साथ ही सोमवार को ब्रह्म योग प्रात:काल से लेकर सुबह 07:05 तक रहेगा, उसके बाद से इंद्र योग बनेगा, जो पूरे दिन रहेगा।

भोलेनाथ के मंत्र

  • ॐ नमः शिवाय
  • ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् || 
  • ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहितन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!

भगवान शिव की आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

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