Ten Mukhi Rudraksh: हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है। क्योंकि इस महीने का संबंध भगवान शिव से माना जाता है और इस महीने भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार,सावन मास भगवान शिव का सबसे प्रिय है। वहीं इस महीने रुद्राक्ष धारण करना भी शुभ माना जाता है। क्योंकि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से मानी जाती है। साथ ही भगवान शिव को रुद्राक्ष बेहद प्रिय है।

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ज्योतिष शास्त्र में 16 मुखी रुद्राक्ष का वर्णन मिलता है। जिसमें से कुछ रुद्राक्ष लुप्त हो चुके हैं। हम यहाें बात करने जा रहे हैं 10 मुखी रुद्राक्ष के बारे में। मान्यता है कि 10 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से करियर और कारोबार में तरक्की के योग बनते हैं। साथ ही शनि देव की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं दस मुखी रुद्राक्ष के बारे में…

कैसा होता है रुद्राक्ष

सबसे अच्छा रुद्राक्ष इंडोनेशिया और नेपाल देश का आता है।  हालांकि भारत में भी कई पहाड़ी इलाकों में एक विशेष ऊंचाई पर यह पेड़ पाया जाता है।  रुद्राक्ष जितनी धारियों में बंटा होता है। वह उतने मुखी रुद्राक्ष कहलाता है। 

दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लाभ (Benefits Of Rudraksha)

दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। साथ ही दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आय के नए माध्यम बनते हैं। वहीं दस मुखी रुद्राक्ष का संबंध शनि ग्रह से माना जाता है। इसलिए जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही हो या कुंंडली में शनि ग्रह निगेटिव विराजमान हों वो लोग भी दस मुखी रुद्राक्ष पहन सकते हैं। साथ ही शनि देव की विशेष कृपा रहती है। वहीं दस मुखी रुद्राक्ष पहनने से धन आगमन के नए मार्ग बनते हैं। 

रुद्राक्ष धारण करने की सही विधि (Method of Wearing Rudraksh)

रुद्राक्ष को सावन महीने के सोमवार, पंचमी, त्रयोदशी तिथि में धारण कर सकते हैं। वहीं रुद्राक्ष को पहनने से पहले उसका शुद्धिकरण जरूरी होती है। जिसके लिए एक चांदी या तांबे की कटोरी में दूध, दही, शहद, घी, एवं शक्कर लेकर के मिला लें। फिर इस मिश्रण में रुद्राक्ष को डुबो दें। इसके बाद ऊं नम: शिवाय का 108 बार जाप करें और फिर शिवलिंग से स्पर्श कराकर रुद्राक्ष को गले में पहन लें। ऐसा करने से आपको रुद्राक्ष का पूर्ण फल आपको प्राप्त होगा। साथ ही भोलेनाथ की कृपा बनी रहेगी।

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