शास्त्रों में सावन के महीने का खास महत्व है। इस साल सावन के महीने की शुरुआत 11 जुलाई से हो चुकी है। यह महीना भोलेनाथ को समर्पित है। आपको बता दें कि भोलेनाथ का नवग्रहों पर आधिपत्य माना जात है। इसलिए जिन व्यक्ति की जन्मपत्री में कालसर्प और पितृ दोष है वो लोग सावन में प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करके इन दोषों को दूर कर सकते हैं। वहीं ज्योतिष में एक ऐसे स्त्रोत का वर्णन मिलता है। जिसका सावन में रोजाना पाठ करने से कालसर्प और पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। साथ ही करियर और कारोबार में तरक्की मिलती है। वहीं सुख- समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। आइए जानते है इस स्त्रोत के बारे में…
॥ नाग स्तोत्रम् ॥
ब्रह्म लोके च ये सर्पाःशेषनागाः पुरोगमाः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
विष्णु लोके च ये सर्पाःवासुकि प्रमुखाश्चये।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
रुद्र लोके च ये सर्पाःतक्षकः प्रमुखास्तथा।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
खाण्डवस्य तथा दाहेस्वर्गन्च ये च समाश्रिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
सर्प सत्रे च ये सर्पाःअस्थिकेनाभि रक्षिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
प्रलये चैव ये सर्पाःकार्कोट प्रमुखाश्चये।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
धर्म लोके च ये सर्पाःवैतरण्यां समाश्रिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
ये सर्पाः पर्वत येषुधारि सन्धिषु संस्थिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
ग्रामे वा यदि वारण्येये सर्पाः प्रचरन्ति च।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
पृथिव्याम् चैव ये सर्पाःये सर्पाः बिल संस्थिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
रसातले च ये सर्पाःअनन्तादि महाबलाः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
ऐसे बनता है कुंडली में कालसर्प और पितृ दोष
वैदिक ज्योतिष में कालसर्प दोष को बेहद की हानिकारक माना जाता है। यह जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में बनता है, उन व्यक्ति को जीवनभर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही व्यक्ति को काम- कारोबार में संघर्ष करना पड़ता है। वहीं ऐसे व्यक्ति की सेहत खराब रहती है। साथ ही व्यक्ति को किस्मत का साथ नहीं मिलता है। कालसर्प दोष राहु और केतु ग्रह से बनता है। यह 12 प्रकार का होता है। वहीं पितृ दोष भी अशुभ होता है। आपको बता दें कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के पंचम और नवम भाव में राहु या राहु के साथ सूर्य है। तो ऐसे व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष बनता है। इस योग के प्रभाव से संतान उत्पत्ति में बाधा आती है। साथ ही ऐसे व्यक्ति के पास धन का अभाव रहता है।