Sawan 2025 Shubh Muhurat. Puja Vidhi, Chalisa, Rudrabhishek, Aarti Updates: हिंदू पंचांग का पांचवां महीना श्रावण मास होता है। इस माह में विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ सावन आरंभ हो जाएगा। ऐसे में इस साल 2025 सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई यानी आज से हो रही है और समापन 9 अगस्त 2025 को होगा। इस मास में भगवान शिव को जल, बेलपत्र, दूध, शहद आदि चढ़ाना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। इसके साथ ही इस माह भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प दोष से भी निजात मिल सकती है। आइए जानते हैं सावन के पहले दिन किस मुहूर्त में करें शिव जी की पूजा। इसके साथ ही जानें शिव मंत्र, शिव आरती, शिव चालीसा सहित हर एक जानकारी…
Shiv Ji Aarti: सावन माह में अवश्य पढ़ें शिव जी की आरती ‘ॐ जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा…
शिव की शक्ति से।
शिव की भक्ति से।।
खुशियों की बहार मिले।
महादेव की कृपा से।।
शिवलिंग में धतूरा अर्पित करते समय उसकी डंडी आपके विपरीत दिशा में हो। चढ़ाने के साथ शिव मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें।
सावन शिवरात्रि के दिन एक कटोरी में हल्दी और गंगाजल या फिर पानी में मिक्स करके गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसके बाद इसमें धतूरा डालकर अच्छी तरह से लपेट दें। जब अच्छी तरह से हल्दी लग जाएं, तो शिव मंदिर जाकर शिवलिंग में चढ़ा दें, साथ ही ‘ऊँ नम: शिवाय:’ मंत्र का जाप करते रहें। कुछ देर इस धतूरे को उठा लें और इसे एक लाल रंग के कपड़े में बांध दें और ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र का जाप करते रहें। फिर इस कपड़े को ऑफिस या फिर धन वाले स्थान में रख दें।
शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पर दूध-मिश्री चढ़ाने से शुभ-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शिवलिंग में दूध और मिश्री चढ़ाने के लिए एक लोटे में दूध में थोड़ी सी मिश्री डालकर मिला लें। इसके बाद शिव मंत्र का जाप करते हुए धीरे -धीरे शिवलिंग में इसे अर्पित कर दें।
बेलपत्र तोड़ने के करीब 6 माह तक बासी नहीं होती है।
शिवपुराण के अनुसार, सोमवार के अलावा हर मास की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि के अलावा संक्रांति तिथियों के दिन भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। इन दिनों बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं और घर में परेशानियां आने लगती हैं।
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥
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जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।
विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥
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धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
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जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥
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सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥
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ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम् ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
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कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥
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नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥
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प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥
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अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम् ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
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जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥
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दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥
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कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम्॥13॥
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निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
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प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥15॥
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इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥
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पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥
ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
ऊं पषुप्ताय नमः
ॐ नमो भगवते रुद्राये।।
ॐ हौं जूं सः ।।
श्री महेश्वराय नम:।।
श्री सांबसदाशिवाय नम:।।
श्री रुद्राय नम:।।
ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:।।
सावन के पहले दिन शिवजी पूजा करने से शुभ फल मिलेगा। इस दिन सुबह 5.31 से सुबह 7.15 तक शुभ का चौघड़िया रहेगा. वहीं इसके बाद सुबह 10.43 से दोपहर 2.10 तक शुभ मुहूर्त बन रहा है.
दोहा
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन क्षार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दिगणेश सोहैं तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहि जाय पुकारा।
तबहि दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहि जुहारी॥
तुरत षडानन तुमहि जुहारा।
लै सनमुख होत न कोई बारा॥
वाल्मीकजि लिखी यह कथा।
हर भक्तन के तुमने संथा॥
लव निमेष महँ तुम सब राखे।
जाके हाथ सदा संकट टाके॥
रावण रच्यो जाय तुम ठाना।
सिया सहित लियो गढ़ लंका जाना॥
बज्रजंग तिहुँलोक बखाना।
रामचन्द्र के काज सँवारा॥
लंका जारि सिया सुख पायो।
तुमहि बिना नहिं कोप नशायो॥
सहस कमल में होत न कोप।
तुम बिन कौन हरै संताप॥
पुजा करत नित तुमहि कोई।
सदा सुखी रहत सब कोई॥
हरहु मम संकट सब कोई।
दुखित दीनन को तुम्ही होई॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।
करत कृपा सब के घर वासी॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो॥
मात पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहि कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा ही।
जो कोई जन तुमहि पुकारे जी॥
पुजा करत नित तुमहि कोई।
सदा सुखी रहत सब कोई॥
दोहा
श्री शंकर सहज सुखकारी।
भक्तन के सब काम संवारी॥
जो कोई पाठ करे चालीसा।
शिव कृपा से सुख सम्पति बरसा॥
मान्यता है कि इत्र, चंदन, बेलपत्र, भांग, केसर, गंगाजल, शहद, अक्षत, शक्कर, दही, घी, गन्ने का रस और कनेर फूल भोलेनाथ को अति प्रिय हैं। इसलिए पूजा और रुद्राभिषेक में इन चीजों का भी जरूर इस्तेमाल करना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र: ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव गायत्री मंत्र: ऊं तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
पंचांग के अनुसार, इस साल सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस दौरान कई दुर्लभ योग का निर्माण हो रहा है, जिससे कुछ राशि वाले जातकों को भाग्य का भरपूर साथ मिल सकता है।
सावन में चमक उठेगा इन 3 राशियों का भाग्य, भोलेनाथ की रहेगी विशेष कृपा, दूर हो सकते हैं सारे कष्ट
26 जुलाई (शनिवार) – द्वितीया तिथि – सुखप्रद
29 जुलाई (मंगलवार) – पंचमी तिथि – सुखप्रद
30 जुलाई (बुधवार) – षष्ठी तिथि – अभीष्टसिद्धि
6 अगस्त (बुधवार) – द्वादशी तिथि – सुखप्रद
7 अगस्त (गुरुवार) – त्रयोदशी तिथि – अभीष्टसिद्धि
11 जुलाई (शुक्रवार) – प्रतिपदा तिथि – सुखद
14 जुलाई (सोमवार) – चतुर्थी तिथि – सुखप्रद
15 जुलाई (मंगलवार) – पंचमी तिथि – अभीष्टसिद्धि
18 जुलाई (शुक्रवार) – अष्टमी तिथि – सुखप्रद
21 जुलाई (सोमवार) – एकादशी तिथि – सुखप्रद
22 जुलाई (मंगलवार) – द्वादशी तिथि – अभीष्टसिद्धि
23 जुलाई (बुधवार) – चतुर्दशी तिथि – शुभयोग
24 जुलाई (गुरुवार) – अमावस्या तिथि – सुखप्रद
सावन माह में अवश्य करें शिव जी की आरती ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे पढ़ें संपूर्ण शिव आरती
Shiv Ji Aarti: सावन माह में अवश्य पढ़ें शिव जी की आरती ‘ॐ जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा…
प्रेमानंद महाराज ने एक वीडियो में बताया है कि अगर कोई व्यक्ति भगवान शिव की विशेष कृपा पाना चाहता है, तो रोजाना बस एक नाम का जाप कर सकते हैं।
पूरी सामग्री के लिए क्लिक करें- बिना इन सामानों के अधूरी रह जाएगी भगवान शिव की पूजा, ये रही सावन सामग्री की पूरी लिस्ट
सावन के दौरान मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज, तामसिक भोजन से परहेज़ करें।
शिव पूजन में तुलसी पत्र, केतकी या चंपा फूल न चढ़ाएं।
किसी का अपमान, झूठ बोलना, गुस्सा और आलस्य न करें।
11 जुलाई 2025, शुक्रवार- सावन आरंभ (श्रवण मास प्रारंभ)
14 जुलाई 2025, सोमवार-पहला सावन सोमवार व्रत
21 जुलाई 2025,सोमवार- दूसरा सोमवार व्रत
28 जुलाई 2025,सोमवार- तीसरा सोमवार व्रत
4 अगस्त 2025 सोमवार-चौथा सोमवार व्रत
9 अगस्त 2025,शनिवार-सावन समाप्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 11 जुलाई को तड़के 2 बजकर 6 मिनट तक है। ऐसे में श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तड़के 2 बजकर 6 मिनट से आरंभ हो रही है। ऐसे में सावन मास 11 जुलाई से आरंभ हो रहा है।
Sawan 2025: अद्भुत संयोगों के साथ सावन होगा आरंभ ,जानें शिव पूजन का समय, मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र