Sawan 2025 Shivling Puja Utensil: सावन का पवित्र महीना भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय होता है। यह श्रद्धा, भक्ति और शिव आराधना का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान शिव भक्त विधिपूर्वक शिवलिंग की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र आदि चढ़ाकर उनका अभिषेक करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में शिवलिंग पर जल अर्पण करने और पूजा-अर्चना करने से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही, पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि का वास होता है। खासकर सावन के सोमवार, शिवरात्रि और प्रदोष व्रत पर जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर जल देने के लिए किस धातु के लोटे का इस्तेमाल अच्छा है, पीतल, तांबा या स्टील? तो चलिए जानते हैं कि किस धातु के पात्र से शिवलिंग में जल देने का विधान है और इसके लिए क्या नियम है।
शिवलिंग पर जल किस पात्र से चढ़ाएं?
ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए चांदी, तांबा या पीतल का लोटा पवित्र माना जाता है। लेकिन कभी भी स्टील या प्लास्टिक के बर्तनों से जल अर्पण न करें।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का तरीका
अगर आप भी इस सावन शिवलिंग पर जल अर्पित करने जा रहे हैं तो पहले जान लें इसके नियम। शिवलिंग पर चल अर्पित करने से सबसे पहले शिवलिंग के दाहिनी ओर विराजमान भगवान गणेश को अर्पित करें। उसके बाद बाईं ओर स्थित भगवान कार्तिकेय को, फिर शिवलिंग का घेरा, जो मां पार्वती को समर्पित है, वहां जल अर्पण करें। फिर मध्य भाग, जो शिव-पार्वती की पुत्री देवी अशोक सुंदरी का प्रतीक माना जाता है, वहां जल अर्पित करें। अंत में, शिवलिंग के शीर्ष भाग पर भगवान शिव को जल चढ़ाएं। ऐसी मान्यता है कि शिव जी की पूजा करने से पहले उनके परिवार की पूजा करने से भगवान की विशेष प्राप्त होती है।
कौन सी दिशा है शुभ?
धर्म शास्त्रों के अनुसार, हमेशा उत्तर दिशा की ओर ही मुख करके ही शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। यह दिशा शुभ मानी जाती है। इस बात का खास ध्यान रखें कि कभी भी गलती से भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल अर्पित न करें, क्योंकि वह भगवान शिव का प्रवेश द्वार माना गया है।
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