Sawan 2025: सावन का शुभ महीना 11 जुलाई से आरंभ हो चुका है और यह 9 अगस्त तक चलेगा। आने वाला सोमवार यानी 14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार (Sawan Somwar) मनाया जाएगा। इस दिन देशभर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, भस्म, भांग, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित कर भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब आप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ा रहे हों, तो उस दौरान कौन-सा स्तोत्र पढ़ना चाहिए? दरअसल, ऐसी मान्यता है कि यदि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण करते समय इस खास स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया जाए तो इससे आपकी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण हो सकती हैं और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है।

शिव आह्वान मंत्र

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।

शिव बिल्वाष्टकम्

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं ।

त्रिजन्म पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कोमलैः शुभैः ।

तवपूजां करिष्यामि ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः ।

काञ्चनं क्षीलदानेन ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं ।

प्रयागे माधवं दृष्ट्वा ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः ।

नक्तं हौष्यामि देवेश ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा ।

तटाकानिच सन्धानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं ।

कृतं नाम सहस्रेण ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

उमया सहदेवेश नन्दि वाहनमेव च ।

भस्मलेपन सर्वाङ्गम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयो: ।

यज्नकोटि सहस्रस्च ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

दन्ति कोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतक्रतौ ।

कोटिकन्या महादानम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं ।

अघोर पापसंहारम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापन मुच्यते ।

अनेकव्रत कोटीनाम् ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोप नयनं तधा ।

अनेक जन्मपापानि ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

बिल्वस्तोत्रमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति ऐकबिल्वं शिवार्पणं ।।

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