Sawan 2023 Mahakal Bhasma Aarti: सावन का पहला सोमवार आज है। सावन माह के दौरान देशभर के शिव मंदिर में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। लेकिन उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल की पूजा-अर्चना विश्व प्रसिद्ध है। सावन मास के दौरान यहां पर लाखों भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचते है। सावन के पहले सोमवार को बाबा की भस्म आरती हुई।
माना जाता है कि सावन माह के हर एक सोमवार को महाकाल व्रत रखते हैं। इसके साथ ही रोज सुबह भस्म आरती की जाती है। आरती के साथ ही उन्हें जगाया जाता है। सावन माह के हर सोमवार को सुबह ढाई बजे और बाकी दिनों में सुबह 3 बजे भस्म आरती होती है।
क्यों की जाती है भस्म से आरती?
महाकाल को भस्म चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। पौराणिक कथा के अनुसार, उज्जैन में दूषण नाम के नाम का काफी प्रकोप था। वह लोगों के सताने के साथ हर जगह तबाही मचा रखा था। ऐसे में लोगों से भगवान शिव से विनती की वह इससे निजात दिलाएं। ऐसे में महाकाल से दूषण राक्षस का किया था और उज्जैन वासियों को उससे छुटकारा दिलाया था। इसके बाद महाकाल से राक्षस की राख से अपना श्रृंगार किया था इसी कारण आज भी इस परंपरा को निभाया जाता है।
भस्म आरती के है कई नियम
महाकाल के भस्म आरती करते समय कुछ नियमों का पालन जरूर किया जाता है। भस्म आरती करने वाले पंडित पूरे वस्त्र धारण न करके केवल धोती धारण करते हैं। इसके साथ ही हर छह मास में पंडितों को बदला जाता है। इसके साथ ही महिलाओं को भस्म आरती देखने की मनाही होती है, क्योंकि यह महाकाल का निराकार रूप होता है। इसलिए महिलाएं चेहरे को ढक कर इस आरती को दूर से देखती हैं।
पहले चिता की राख से करते थे भस्म आरती
माना जाता है कि पहले दशकों में चिता की राख से बाबा की भस्म आरती की जाती थी, लेकिन आप गाय के उपलों से राख बनाकर उसे भस्म के रूप में इस्तेमाल करते हैं।