Sawan 2023 Chhah Mukhi Rudraksha: सावन मास में भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही भगवान को बेलपत्र, भस्म, भांग, धतूरा चढ़ाने के साथ-साथ रुद्राक्ष चढ़ाने का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। इसलिए इसे धारण करने का भी विशेष महत्व है। रुद्राक्ष कई मनकों जैसे एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक होते हैं। जानिए पंडित जगन्नाथ गुरुजी से सावन मास में कितने मुखी का रुद्राक्ष धारण करना है सबसे पुण्यकारी।
सावन में पहनें छह मुखी रुद्राक्ष
प्रख्यात ज्योतिषी पंडित जगन्नाथ गुरुजी कहते हैं कि सावन के शुभ महीने के दौरान छह मुखी रुद्राक्ष सबसे प्रतिष्ठित रत्न के रूप में चमकता है। इसके छह मनमोहक चेहरे बहुत महत्व रखते हैं। जो इसे एक प्रिय सजावट बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके पवित्र केंद्र में सभी देवी-देवता अपना निवास पाते हैं, उनकी दिव्य ऊर्जा इसमें विलीन हो जाती है। इस रहस्यमय मनके में दिव्य देवता की सामूहिक शक्तियां हैं, जो इसे पहनने वालों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। दिव्य ऊर्जाओं का खजाना छह मुखी रुद्राक्ष ईश्वर और परमात्मा के बीच गहरे संबंध का प्रमाण है, जो आध्यात्मिक पथ पर सांत्वना, सुरक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करता है।
6 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ
- छह मुखी रुद्राक्ष पहनने से आकर्षण बढ़ता है।
- व्यक्ति का दिमाग तेज होने के साथ एकाग्रता और सोचने की शक्ति बढ़ती है।
- मन शांत और स्थिर रहता है।
- धन-वैभव के दाता शुक्र की स्थिति मजबूत होती है।
- छह मुखी रुद्राक्ष पहनने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है।
- छह मुखी रुद्राक्ष पहनने से शारीरिक रोगों से निजात मिलती है।
- छह मुखी रुद्राक्ष पहनने से आलस्य और सुस्ती से छुटकारा मिल जाता है।
- छह मुखी रुद्राक्ष पहनने से आसपास नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
- इस रुद्राक्ष को पहनने से लव लाइफ भी बेहतर रहती है।
छह मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि
छह मुखी रुद्राक्ष पहनने के लिए सावन सोमवार या फिर मंगलवार का दिन सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। सबसे पहले इस रुद्राक्ष को सरसों के तेल में 4-5 दिन भिगोकर रख दें। इसके बाद धारण करने वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद रुद्राक्ष को दूध से स्नान करें और मंत्र ‘ऊँ नमः शिवाय’ का जाप करें। इसके बाद शिव जी और कार्तिकेय जी का मनन करते हुए इसे धारण कर लें।
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के बाद ध्यान रखें ये बातें
- छह मुखी रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में नहीं पहनना चाहिए। इसे पीले या फिर लाल रंग के धागे में डालकर धारण कर लें।
- छह मुखी रुद्राक्ष को रात को सोने से पहले उतार दें और सुबह स्नान आदि करने के बाद पुन: धारण कर लें।
छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए।
किसी दूसरे के द्वारा दिया गया छह मुखी रुद्राक्ष बिल्कुल भी नहीं धारण करना चाहिए। इससे उल्टा प्रभाव पड़ता है।
छह मुखी रुद्राक्ष को कभी भी गर्भवती महिलाओं को नहीं पहनना चाहि।
FAQ
रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आसुओं से हुई है।
कितने मुखी के होते हैं रुद्राक्ष?
रुद्राक्ष 21 मुखी तक होते हैं। जिसमें 11 मुखी तक के रुद्राक्ष सबसे ज्यादा प्रभावशाली माने जाते हैं।
सबसे पावरफुल रुद्राक्ष कौन सा होता है?
पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करना सबसे अच्छा माना जाता है।