Sawan 2023: हिंदू शास्त्रों और वास्तु शास्त्र के अनुसार, आंवला का वृक्ष काफी शुभ माना जाता है। इसकी विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। स्कंद पुराण, विष्णु पुराण और शिव पुराण में कहा गया है कि आंवला के वृक्ष की जड़ के नीचे भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। इसलिए इस वृक्ष की पूजा करने से श्री हरि के साथ माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती हैं।
आमतौर पर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी और फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की आमलकी एकादशी के दिन आंवला की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन आप चाहे, तो सावन मास की अष्टमी और नवमी तिथि के दिन आंवला की वृक्ष से संबंधी उपाय कर सकते हैं। इस उपाय को करने से धन-दौलत की प्राप्ति होती है। रुका हुआ कारोबार चलने लगता है। इसके साथ ही नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति के साथ बड़ी जिम्मेदारी मिलती है।
आंवला में चढ़ाएं ये एक चीज
विष्णु पुराण के अनुसार, सावन मास की अष्टमी या फिर नवमी तिथि के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद एक लोटे में जल ले लें। इसके साथ ही एक चुटकी हल्दी ले लें। आंवला के पेड़ के पास जाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान हरि हर महादेव के नाम लेकर एक चुटकी हल्दी आंवला के पेड़ की जड़ में चढ़ा दें। इसके साथ ही लोटे के जल चढ़ा दें।
इस उपाय को आप किसी भी मास की अष्टमी, नवमी तिथि के अलावा किसी भी शुक्रवार या फिर प्रदोष व्रत के दिन कर सकते हैं।
कब है सावन की अष्टमी और नवमी तिथि?
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की अष्टमी तिथि 24 अगस्त को सुबह 3 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 25 अगस्त को सुबह 3 बजकर 10 मिनट में समाप्त हो रही है। इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो जाएगी। यह तिथि 25 अगस्त को सुबह 3 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी।
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